लेखनी प्रतियोगिता -18-Apr-2023
शीर्षक :मर्यादा सिखाए कोई...
"मर्यादा इंसानियत की भी इन भेड़ियों को सिखाये कोई,
खेल घिनौना हैवानियत का ऐसा ना, फिर दिखाये कोई।
इंतहा दरिन्दगी की रोज ही देख व्यथित आक्रोशित मन,
बची है गर संजीदगी जहान में तो अब भी दिखाये कोई।
भटकते ये नौजवान, बेख़ौफ होकर जुल्म करते हैं क्यों,
बेवजह नाकामियों की इन बातों में ना उलझाए कोई नहीं।
प्रश्न तो अब हमारे ही संस्कारों पर आज उठ रहे हैं कितने,
जो सिखा सके तो उन्हें भी ख़ुदा सदाचार अब सिखाए कोई।
मुश्किल हुआ जीना अब हमारी बहन बेटियों का इस कदर,
दुनिया में हर दिन मिट रहा वजूद, बचा सके तो बचाये कोई।
कब तक जुल्म सह जान दे खबरें बनती रहेगी यूँ बेटियाँ,
सुदर्शन चक्र से इन अपराधियों को मौत का दंड दिलाए कोई।
© ® उषा शर्मा
Swati chourasia
20-Apr-2023 10:11 PM
बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌
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Punam verma
19-Apr-2023 09:21 AM
Very nice
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Abhinav ji
19-Apr-2023 08:49 AM
Very nice 👍
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