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लेखनी प्रतियोगिता -21-Apr-2023 पहली और आखिरी मुहब्बत


                             पहली और  आखिरी मोहब्बत

        " टिकिट  बेटा ?" टीटी ने सोरही पायल को जगाते हुए टिकिट माँगा।

         "नही सर असल में मेरा टिकिट जनरल का है ।मै जल्दी में थी क्यौकि स्टेशन पर लेट आई थी  मेरे सामने यही बोगी आगयी और मै चढ़गयी !"  पायल ने अपनी  परेशानी बताते हुए कहा।

     "  यह तो गलत है बेटा ? जुर्माना तो भरना होगा ?  " टी टी ने कहा।

     " कितना जुर्माना सर ?" पायल ने पूछा।

     " तीन सौ रुपये ।" टीटी ने बताया।

     " मेरे पास तो केवल सौ रुपये है। मै बहुत जल्दी में आई हूँ मै होस्टल से आरही हूँ। मै अपनी सहेली से पैसे लेलिए थे। लेकिन जल्दी में पर्स वही भूल आई।  मै अगले स्टेशन पर जनरल  बोगी में चली जाऊँगी। " पायल  रिक्वैस्ट करते हुए बोली।

      टी टी भला आदमी था। उसने सौ रुपये लेकर ही उसे उसे बौगी में बैठने की अनुमति प्रदान करदी है।

      यह सब कुछ दूरी परबैठा अंकुर देख रहा था।  उसकी समझ में आगया कि यह लड़की किसी भले घर की है किसी मुसीबत में है इसकी सहायता करनी चाहिए। एसा सोचते हुए उसके दिमाग में एक आईडिया आया।

            अपने आइडिये के हिसाब से   उसने एक चाय वाले को इशारे से बुलाया और एक पर्ची पर  लिखा शायद तुम किसी मुसीबत में हो।  मै यह पांचसौ रुपये  भेजरहा हूँ साथ में अपना पता व फौन नम्बर भी भेजरहा हूँ।  इस पते पर आप  चाहो तो मेरे रुपये बापिस भी कर सकती हो। 

         अंकुर ने वह पर्ची व रुपये चाय वाले के साथ भेज दिये। पायल ने  केवल धन्यवाद लिखकर एक कागज का टुकडा़  चायवाले के हाथ भेज दिया। चाय वाला भी बहुत चतुर था उसने वह कागज दूसरे चक्कर में दिया जिससे पायल को यह मालूम नहीं हुआ कि पैसे किसने भेजे थे।

        पायल  उस सख्स के बिषय में सोचती रही उसका फौन भी स्विच आॅफ था। जिससे वह फौन नही कर सकी।

     पायल अपना स्टेशन आने पर उतरगयी।और आनन फानन में घर पहुँचकर अपनी मरी हुई माँ से लिपटकर खूब रोई।

      उसके कुछ दिनौ बाद उसने  अंकुर के पांचसौ रुपये का उसके दियेगये पते पर मनी आर्डर  किया और एक खतभी लिख दिया।

      खत में लिखा," अंकुर जी आपके रुपयौ की सहायता से मै अपनी मम्मी के अन्तिम दर्शन कर सकी। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। मै आपका यह अहसान कभी भी नहीं भूल सकूँगी।  मैने आपके पांच सौ रुपये मनी आर्डर से भेजे है। आपको रुपये  मिलने पर मुझे फौन करना। जिन्दगी में समय मिला तो मै आपसे अवश्य मिलूँगी। आप जैसे सहायता करने वाले बहुत ही कम होते हैं।"

          "आपके पांचसौ रुपये मेरे लिए पचास हजार से भी अधिक थे। मै आपका शुक्रिया कैसे अदा करूँ। आपका शुक्रिया अदा करने हेतु  मेरे पास  शब्द नही हैं। ईश्वर आपकी सहायता करें।"

     इस खत को पढ़कर  अंकुर के दिल को अजीब सा सुकून मिला। अंकुर ने मनी आर्डर  मिलने के बाद  पायल को फौन किया। क्यौकि खत में पायल ने अपना फौन नम्बर दिया था।

         अब उन दोनौ की दोस्ती होगयी। जब अंकुर का दिल करता वह फौन पर बात कर लेता और पायल भी फौन करलेती थी।  पायल अंकुर को दिल ही दिल में प्यार करने लगी।  

       पायल अंकुर से मिलकर उसको बताना चाहती थी वह उसे प्यार करती है। पायल उसे सरपराइज गिफ्ट देना चाहती थी।

     पायल ने अंकुर से उसके शहर में ही मिलने के लिए फौन किया और उसको बताया कि मै बंगलौर किसी काम से आरही हूँ  दोनौ ने फौन पर बात करके एक पार्क में मिलने की जगह तय करली।।

     पायल समय से पहले ही पार्क पहुँच गयी। लेकिन अंकुर  शही आया। जैसे जैसे समय बीतता जारहा था बैसेही पायल की चिन्ता बढ़ती जारही थी। जब बहुत देर होगयी तब पायल ने फौन करने की कोशिश की । बहुत ही  देर बाद फौन लग सका।

       अंकुर का फौन किसी और ने अटैन्ड कियाऔर वह बोला," आप कौन बोल रही है ?  आप शीघ्र सरकारी अस्पताल पहुँच  जाओ। जिनका यह फौन है उनका  एक्सीडैन्ट  होगया है। "

     पायल उस शहर के लिए नयी थी। उसने सरकारी अस्पताल के लिए औटो किया और वहाँ पहुचकर वह इमरजैन्सी में पहुची ।अंकुर को देखकर उसे रोना आगया।   डाक्टर कहरहे थे इनका खून बहुत बह गया है। इनका बचना बहुत मुश्किल है।

        कुछ ही देर में अंकुर के मम्मी पापा भी पहुँच गये। पायल की समझ में नही आरहा था कि वह क्या करे। अंकुर के मम्मी पापा को कैसे समझाती कि वह मुझसे मिलने आरहा था। यह सब मेरे कारण हुआ है। इसके लिए वह  स्वयं को दोषी मान रही थी।
  
       पायल ने अंकुर के मम्मी पापा को  ट्रैन से लेकर अब तक की पूरी  बात बताकर वह बोली," अंकल मेरी तकदीर ही खराब है यह मुझ अभागिन के कारण हुआ है। मुझे माँफ करना।

     पायल अस्पताल में रहकर अंकुर की सेवा करने लगी। ईश्वर की कृपा से उसकी सेहत में सुधार होने लगा और पायल की सेवा रंग लाई। अंकुर  ह्वील चेयर पर आगया । 

     पायल  ने  अपने  पापा से कहकर  अंकुर से शादी करली  और अंकुर को ही अपनी पहली व आखिरी मुहब्बत मान लिया।


आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना। 
नरेश शर्मा " पचौरी "


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8 Comments

Gunjan Kamal

23-Apr-2023 07:47 PM

बहुत खूब

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madhura

23-Apr-2023 02:11 PM

nice story

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Abhinav ji

22-Apr-2023 08:11 AM

Nice 👍

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