Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -21-Apr-2023 पाकीजा मोहब्बत

अनाथ नरेश की परवरिश राम सिंह ने अपने बेटे दीपक और बेटी राशि की तरह ही की थी। और उसे परिवार के सदस्य होने का हक भी दे रखा था।

 
 नरेश राम सिंह को पिता नहीं परमात्मा मानता था। वह किसी भी कीमत पर राम सिंह का हुकुम नहीं टालना चाहता था। 

नरेश राम सिंह के बेटे और बेटी से आयु में बड़ा था, इसलिए राम सिंह पहले नरेश की शादी के लिए लड़की ढूंढता है। और अपने बराबर के खानदान में नरेश को अपना बेटा बताकर नरेश की शादी कर देता है।

नरेश के भाग्य पर पूरा गांव बहुत चकित हो जाता है कि एक तो बड़े खानदान में शादी ऊपर से पत्नी हूर की परी पूरे गांव में नरेश की पत्नी से ज्यादा उसके साथ के युवकों में इतनी सुंदर किसी की भी पत्नी नहीं थी। 

खुशी से शादी करने के बाद नरेश को ऐसा महसूस होता है कि उसका जीवन संपूर्ण हो गया है।

 लेकिन उसकी यह खुशी ज्यादा दिन कायम नहीं रह पाती। क्योंकि दीपक एक दिन शराब के नशे में नरेश से कहता है कि "मुझे तेरी पत्नी खुशी से मोहब्बत हो गई है। अगर मुझे खुशी नहीं मिली तो मैं अपनी जान दे दूंगा।" 

और दूसरे दिन जब दीपक का नशा उतरने के बाद नरेश यही बात उससे होश में आने के बाद पूछता है? तो वह खुशी से प्यार वाली बात दोबारा कहता है।

 और नए-नए तरीकों से खुशी को तलाक देने के लिए नरेश पर दबाव डालने लगता है।

 मजबूर होकर नरेश खुशी को दीपक की सारी बातें बता देता है। तो खुशी नरेश से कहती है कि "मेरा पहला और आखिरी प्यार आप ही हैं। इसलिए हम गांव छोड़कर शहर चलते हैं। शहर में मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन बीता लेंगे।"

 लेकिन जब नरेश शहर जाने की पूरी तैयारी कर लेता है, तो राम सिंह का देहांत हो जाता है। वकील राम सिंह की वसीयत पढ़ता है तो राम सिंह ने उस वसीयत में नरेश के लिए 15 बीघा जमीन और मकान बनाने के लिए 300 गज जमीन लिख रखी थी।

 इसलिए नरेश शहर जाने का इरादा बदल देता है। और अपने मन में सोचता है कि शायद पिता की मृत्यु के बाद दीपक के स्वभाव में बदलाव आ जाए।

 लेकिन पिता की मृत्यु के बाद तो दीपक नरेश की पत्नी खुशी को पाने के लिए और पागल हो जाता है।

और एक दिन जब नरेश अपने मकान के लिए नए खिड़की दरवाजे लेने शहर जाता है, तो दीपक कुछ किराए के गुंडे शहर में भिजवा कर नरेश की हत्या करके उसकी लाश नदी में फिकवा देता है।

 चार-पांच दिन बाद जब पुलिस को नरेश की लाश मिलती है तो नरेश का शव देखकर खुशी उस दिन के बाद से  गुमसुम रहने लगती है।

 दीपक नरेश की हत्या की कार्रवाई को आगे बढ़ने से रोकने के लिए अपने पैसे का पूरा इस्तेमाल करता है। और पुलिस की जांच में बिल्कुल भी सहयोग नहीं करता है। 

दीपक विधवा खुशी से शादी करने के लिए अपनी सारी धन दौलत खुशी के नाम करने के लिए तैयार हो जाता है। और जब विधवा खुशी शादी से इंकार कर देती है, तो दीपक रात दिन शराब पीने लगता है।

 विधवा खुशी के मायके वाले भी खुशी की दूसरी शादी करने के लिए खुशी पर बहुत दबाव डालते हैं। तो खुशी ना शादी करती है और ना ही नरेश का घर छोड़ने के लिए तैयार होती है।

 दो-तीन बरस बाद ज्यादा शराब पीने की वजह से दीपक की मौत हो जाती है।

 और समय के बीतने के साथ-साथ खुशी की आयु 80 वर्ष की हो जाती है। और एक दिन विधवा खुशी को नरेश सपने में दिखाई देता है। नरेश खुशी से सपने में पूछता है कि? "तुम दीपक नहीं किसी और से तो शादी कर सकती थी। तुमने पूरी जवानी मेरे घर में अकेले रह कर बिता दी। तुमने अपना जीवन एक मृत पति के पीछे क्यों बर्बाद कर दिया।"

 जब खुशी सपने में नरेश से कहती है कि तुम्हारे घर को छोड़ते ही मुझे ऐसा लगता कि "मैंने अपने पहले और आखरी प्यार को छोड़ दिया है।"

 और उसी रात खुशी का भी देहांत हो जाता है।

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9 Comments

Gunjan Kamal

23-Apr-2023 07:48 PM

बहुत खूब

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madhura

23-Apr-2023 02:10 PM

wow

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Abhinav ji

22-Apr-2023 08:08 AM

Very nice 👍

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