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स्मृति





स्मृति
क्या-क्या करूँ मैं याद जो तुमने किया है लाल,
क़िस्मत गई है फूट बयाँ होता नहीं मलाल।।

जब से गए हो छोड़ दिल रोता है बार-बार,
जैसे कोई छुरी से इसको कर दिया हलाल।।

मैं बेज़ार रो रहा हूँ आँसू न रोक पाऊँ,
भूलूँ तो कैसे भूलूँ अद्भुत तेरा कमाल।।

लेकर सुई से सोना सबपे पकड़ थी तेरी,
हँसता तुम्हारा चेहरा दैवी तेरा जमाल।।

जीवन की सारी खुशियाँ लेकर कहाँ छुपे हो,
लौटा दो मेरी ममता करके मेरा ख़याल।।

लगता है तुम बसे हो  जा सूरज के लोक में,
आभा से हो गया है मंडित तेरा ये भाल।।

लेना न जन्म दूजा अब तुम देव बन गए हो,
रहकर वहाँ भी देव सँग मचाते रहो धमाल।।

           ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
              9919446372

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3 Comments

Sachin dev

23-Apr-2023 06:33 PM

Nice

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madhura

23-Apr-2023 02:16 PM

no words sir

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जबरदस्त

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