Madhu Arora

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चंचल मन

चंचल मन उड़ता ही जाए

चंचल मन उड़ता ही जाए,
किसी के रोके कहांँ रुक पाए।
झूम झूम कर वह तो नाचे,
 थिरक थिरक कर वह तो गाए।

मन सा उसको मिलता जाए,
फिर वह बड़ा कमाल दिखाए।
खिले गुलाब जब जब मन का,
चंचल सा वह तो मुस्काएं।

कांटे अगर हो राह में उसकी,
फिर ना उसको कुछ भी भाए।
अविवेकी यह बड़ा हो जाए,
अंदर अंदर कुढ़ता  जाए।

तीन लोक भी कम है इसको,
सैर करें निशदिन  यह देखो।
मन के घोड़े हरदम दौड़ें,
लगाम नहीं जो कोई रोके।

जिसने इसकी गति को समझा,
भली-भांति देखा परखा।
मन को दास बना कर रखा,
नियंत्रण उस पर अपना रखा।।
                  मधु अरोरा 

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10 Comments

Abhinav ji

25-Apr-2023 08:44 AM

Very nice 👍

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बहुत ही सुंदर और खूबसूरत पंक्तियाँ

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Gunjan Kamal

24-Apr-2023 10:28 PM

👏👌

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