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प्रेरणादायक कहानियां

घोड़े ने कहा – ” तुम्हारी बात तो ठीक है; किंतु मुझे बैठना आता नहीं ! मैं तो खड़े-खड़े ही सोता हूं | तुम मेरी पीठ पर चदोगे कैसे ! आजकल मेरे सुन बढ़ गए हैं | मैं ना तो तेज दौड़ सकता हूं, और ना ही पैर फटकार सकता हूं |

घोड़े के पास से निराश होकर खरगोश गधे के पास गया | उसने कहा – ” मित्र गधे ! तुम इस पाजी कुत्ते पर एक दुलत्ती झाड़ दो | तो मेरे प्राण बच जाएं |

गधा बोला मैं नित्य गाय और घोड़े के साथ घर लौटता हूं | वे दोनों जा रहे हैं यदि मैं उनके साथ न जाकर पीछे रह जाऊं तो मेरा स्वामी धोबी डंडा लेकर दौड़ा आएगा | और पिटते-पिटते मेरा कचूमर निकाल देगा | मैं अब यहां ठहर नहीं सकता |

अंत में खरगोश बकरी के पास गया | बकरी ने उसे देखते ही कहा – ” खरगोश भाई ! कृपया करके इधर मत आओ ! तुम्हारे पीछे कुत्ता दौड़ता चला आ रहा है, मैं उससे बहुत डरती हूं |

सब ओर से निराश होकर खरगोश वहां से भागा | भागते-भागते वह जाकर एक झाड़ी में छिप गया | कुत्ते ने बहुत ढूंढा; किंतु उसे खरगोश का पता नहीं मिला | जब कुत्ता लौट गया | तब खरगोश झाड़ी में से निकला |उसने चारों ओर देखा और संतोष की सांस ली | फिर वह बोला –

” दूसरों का भरोसा करना सदा धोखा देता है | अपनी सहायता अपने आप ही करनी चाहिए |”

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