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लेखनी प्रतियोगिता -26-Apr-2023-ख़ुद मशहूर हो गये


सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी" मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
विषय:- 🌹 स्वैच्छिक 🌹
शीर्षक -- 🌷 ख़ुद मशहूर हो गये 🌷
दिनांक -- २६.०४.२०२३
दिन -- बुधवार 
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जिसे  संवारा संतान की  तरह,  वो दूर  हो गये,
पद  प्रतिष्ठा की  चकाचौंध में,  मगरूर  हो गये।
जिनसे  भूलकर भी  कभी,  भूल नहीं होती थी,
इल्ज़ाम  लगाकर मुझ पर, ख़ुद मशहूर हो गये।

उम्मीदों के आशियाने में सपनों को सजाया था,
जिनकी सलामती में  अखण्ड दीप जलाया था।
सारे अरमान जो सजा रखे थे चकनाचूर हो गये,
इल्ज़ाम  लगाकर मुझ पर, ख़ुद मशहूर हो गये।

दबे लहजे में  जो करते थे बात, अब  खुल गये,
लोक लाज  संस्कार सब  इक पल में धुल गये।
कनक मादकता मदहोश हो, नशे में चूर हो गये,
इल्ज़ाम  लगाकर मुझ पर, ख़ुद मशहूर हो गये।

सींचता रहा उम्र भर, दिल का पुष्प खिला नहीं,
पांव जमाये रखा  हौसले पर, कभी हिला नहीं।
थकाने की नीयत थी, ख़ुद थककर चूर हो गये।
इल्ज़ाम  लगाकर मुझ पर, ख़ुद मशहूर हो गये।

जो  चाहा  ज़िन्दगी में, वो कभी भी मिला नहीं,
फ़िर भी  ऐ ज़िन्दगी,  तुझसे  कोई  गिला नहीं।
सिसकती  ज़िन्दगी  जीने को,  मजबूर  हो गये,
इल्ज़ाम  लगाकर मुझ पर, ख़ुद मशहूर हो गये।


                🙏🌹 मधुकर 🌹🙏

(अनिल प्रसाद सिन्हा 'मधुकर', जमशेदपुर, झारखण्ड)
             (स्वरचित सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)

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6 Comments

Abhinav ji

27-Apr-2023 09:20 AM

Very nice 👍

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बहुत सुंदर सृजन

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Reena yadav

26-Apr-2023 07:27 PM

👍👍

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