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काफी दिखते हैं, मगर चेहरे

काफी दिखते हैं, मगर चेहरे
चेहरों पर, न जाने हैं कितने
झूठी आसों से, पकड़े गहरे
गहरे हैं, न जाने जख्म कितने!

झूठी सी तलाश मगर जारी तो रही
किस्मत है ये, गिर के गिरी, मारी तो रही
हम दीवारों पर चले, ठहरे
ठहरे हैं आंखों में आसूं नम कितने
काफी दिखते हैं, मगर चेहरे
चेहरों पर, न जाने हैं कितने
झूठी आसों से, पकड़े गहरे
गहरे हैं, न जाने जख्म कितने!


कोई अपना कब पराया होगा
कोई कैसे ये समझ पाया होगा
नासमझ हैं हम बड़े, ठहरे 
ठहरे है दिल में वहम कितने
काफी दिखते हैं, मगर चेहरे
चेहरों पर, न जाने हैं कितने
झूठी आसों से, पकड़े गहरे
गहरे हैं, न जाने जख्म कितने!


लाख छिपाओ मगर, खो जाता है
दर्द जाने वाला, बेदर्द हो जाता है
अपना कहीं किसे समझ ठहरे
ठहरें हैं ख्यालों में गम कितने
काफी दिखते हैं, मगर चेहरे
चेहरों पर, न जाने हैं कितने
झूठी आसों से, पकड़े गहरे
गहरे हैं, न जाने जख्म कितने!

नहीं रिश्ता है वो सच्चा, जिसमें तारीफ हो बस
नहीं टिकता वो रिश्ता, जहां तकलीफ हो बस
लाख गमों के भी रहे साथ ठहरे
ठहरें जो, समझ आते अपने कितने
काफी दिखते हैं, मगर चेहरे
चेहरों पर, न जाने हैं कितने
झूठी आसों से, पकड़े गहरे
गहरे हैं, न जाने जख्म कितने!

#MJ 
मनोज कुमार "MJ"




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6 Comments

Fiza Tanvi

29-Sep-2021 10:26 AM

Manoj ji aap bahut accha likhte he.. Likhte rahiye.

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Thank you so much jii

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Renu Singh"Radhe "

28-Sep-2021 05:57 PM

बहुत खूब

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Thank you ji

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🤫

28-Sep-2021 05:43 PM

बेहतरीन रचना...👍

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Thank you so much ❤️

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