Natasha

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प्राणदंड

यह सच है कि आपने अलग-अलग समाज के रीति-रिवाजों, मान्‍यताओं और विशेषताओं को देखा है, इसलिए आप हमारी कार्यप्रणाली पर उतना सख्‍त रुख नहीं अपनाऐंगे, जितना आप अपने देश में निश्‍चित रूप से लेते, लेकिन कमाण्‍डेंट को इससे कुछ लेना-देना नहीं है, 


जबकि इनके द्वारा उनके उद्देश्‍य की पूर्ति हो जाने वाली है। वे चतुराई से निहायत धूर्ततापूर्ण प्रश्‍नों से आपको प्रेरित करेंगे, यह मैं निश्‍चित रूप से जानता हूँ। यही नहीं उसकी साथ की महिलाओं का झुंड आपको घेरकर आपकी बातों को तन्‍मयता से सुनता रहेगा। 

हो सकता है उस समय आप ऐसा कुछ कहें, ‘हमारे अपने देश में तो न्‍याय की अलग प्रणाली है\' अथवा ‘हमारे देश में अपराधी को दण्‍ड देने के पहिले अपने बचाव का पूरा अवसर दिया जाता है\', या फिर ‘मध्‍यकाल के बाद से ही हमने सजा के रूप में प्राणदण्‍ड देने का प्रावधान ही समाप्‍त कर दिया है।\'

 ये सभी कथन जो आपके अपने हैं और जो आपके लिए सामान्‍य हैं, और मेरी इस व्‍यवस्‍था पर कोई निर्णयात्‍मक प्रभाव नहीं डालते। लेकिन प्रश्‍न यह है कि कमाण्‍डेंट इन वाक्‍यों पर कैसी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हैं? मैं तो उसे स्‍पष्‍ट रूप से देख रहा हूँ।

 हमारे सुसंस्‍ड्डत कमाण्‍डेंट अपनी कुर्सी को जोर से धक्‍का दे आवाज करे सरकाएंगे और तेजी से बाल्‍कनी की ओर बढ़ेंगे, मैं उनकी महिला मित्रों को उनके पीछे तेजी से बढ़ते देख रहा हूँ और मैं उनकी आवाज़ को भी सुन रहा हूँ जिसे वे महिलाएँ गरजती आवाज़ मानती है- और वे उसकी आवाज़ में यह कहते हैं,

 ‘एक सुप्रसिद्ध पश्‍चिमी अन्‍वेषक, जो संसार के सभी देशों दण्‍ड-व्‍यवस्‍था के अध्‍ययन के लिए भेजा गया है, उसने, ऐसे व्‍यक्‍ति ने अभी-अभी कहा है कि हमारी पारम्‍परिक मृत्‍यु-दण्‍ड व्‍यवस्‍था पूर्णतः अमानवीय है। अब ऐसा निर्णय और वह भी इतने महत्त्‍वपूर्ण व्‍यक्‍ति के मुँह से सुनने के बाद इस विधि को आगे चलाए रखना, मेरे लिए तो अब असम्‍भव है। 


अतः आज से नहीं वरन्‌ अभी से मैं इस दण्‍ड व्‍यवस्‍था को․․․ आदि आदि।\' यह सुन आप विरोध में कहना चाहेंगे कि आपकी मंतव्‍य यह कतई नहीं था और आपने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है कि मेरी प्रणाली अमानवीय है,


 वरन्‌ इसके विपरीत अपने गहन अनुभवों के उपरान्‍त आप तो यह विश्‍वास करते हैं कि यह विधि तो पूरी तरह मानवीय गरिमा के अनुकूल है और आप इस मशीन के प्रशंसकों में से है- लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी, 

आप बाल्‍कनी तक भी नहीं पहुँच पाएंगे क्‍योंकि वहाँ महिलाओं का जमघट आपको आगे बढ़ने ही नहीं देगा, आप अपनी ओर ध्‍यान खींचना चाहेंगे, आप चीखना चाहेंगे लेकिन किसी महिला का हाथ आपके ओंठों को बन्‍द कर देगा- और बस मेरी और हमारे कमाण्‍डेंट की छुट्‌टी हो जाएगी।
अन्‍वेषक को अपनी मुस्‍कराहट को रोकने के लिए पर्याप्‍त शक्‍ति लगानी पड़ी। अरे, यह तो बहुत ही सहज-सरल था जिसे उसने इतना कठिन मान रखा था। उसने टालते हुए कहा, “आप मेरे प्रभाव को अतिरंजित करके देख रहे हैं, कमाण्‍डेंट ने मेरे सन्‍दर्भ पत्रों को पढ़ रखा है, वे अच्‍छी तरह जानते हैं कि मैं दण्‍ड विधान का कोई विशेषज्ञ नहीं हूँ। 

यदि मैं राय दूँगा भी तो वह मात्र मेरी व्‍यक्‍तिगत राय होगी एक ऐसी राय जो किसी भी सामान्‍य नागरिक की राय से अधिक प्रभावशाली नहीं होगी और कमाण्‍डेंट की राय से तो कम ही प्रभावी होगी, जिनके विषय में मेरी सोच यही है कि वे इस काला पानी की कालोनी में सर्वाधिक अधिकार सम्‍पन्‍न हैं। 

यदि तुम्‍हारी दण्‍ड-प्रणाली के सम्‍बन्‍ध में जैसा आपका विश्‍वास है, इतनी विपरीत सोच वे रखते हैं तो क्षमा करें, मेरा विश्‍वास है कि आपकी इस दण्‍ड परम्‍परा का अन्‍त निकट है, मेरी किसी भी प्रकार की सहायता के बिना भी।”

क्‍या ऑफिसर को इसका एहसास हो गया है? नहीं, वह अभी भी इसे समझने को तैयार नहीं। उसने जोर से सिर हिलाया और घूमकर सजायाफ्‍ता और सैनिक पर नज़र डाली, 

वे दोनों ही चावल से मुँह मोड़े हुए थे, यह देख वह अन्‍वेषक के पास आया और बिना उसके चेहरे को देखे, उसके कोट पर दृष्‍टि गड़ा पहिले से और धीमी आवाज़ में कहा, “आप दरअसल कमाण्‍डेंट को नहीं जानते, आपकी यह सोच है- कृपया मेरी बात को अन्‍यथा न लें, कि आप हमारी तुलना में आउटसाइडर हैं, किन्‍तु मेरा विश्‍वास करें, आपके विचार अधिक प्रभावशाली नहीं होंगे। 

मैं स्‍वतः भी यह सुनकर बहुत प्रसन्‍न हो गया था कि आप सजा के समय उपस्‍थित रहेंगे। सच यह है कि कमाण्‍डेंट ने निशाना मेरी ओर ही लगाया था। लेकिन मैं इसे अपने पक्ष में करके ही रहूँगा। 

चारों ओर फैली फुसफुसाहटों और तिरस्‍कार करती निगाहों से अविचलित हुए बिना-जिससे आप बच ही नहीं सकते थे यदि यहाँ दण्‍ड देखने भीड़ एकत्र होती तो- आपने तो मेरे विचार सुन लिए हैं, मशीन को देख लिया है और अब आप अपनी आँखों से सजा को देख भी लेंगे।

 अब, इसमें तो कोई सन्‍देह ही नहीं है कि अपने-अपने निष्‍कर्ष निकाल लिये होंगे जो कुछ संदेह आपके मन में अभी भी होंगे उनका निराकरण दण्‍ड के पूरे होने के साथ ही हो जाएगा और इसलिए अब मैं आपसे एक प्रार्थना और निवेदन कर रहा हूँ, 

प्‍लीज मेरी सहायता करें, मेरा तात्‍पर्य है कमाण्‍डेंट के विरुद्ध सहायता करें।” अन्‍वेषक उसे आगे कहने नहीं देना चाहता था। “यह मैं कैसे कर सकता हूँ भला?

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