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लेखनी प्रतियोगिता -01-May-2023-मज़दूर दिवस


सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी" मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
विषय:- 🌹 स्वैच्छिक 🌹
शीर्षक -- 🌷 मज़दूर दिवस 🌷
दिनांक -- ०१.०५.२०२३
दिन -- सोमवार 
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🙏🌷 हमारे मज़दूर 🌷🙏

जानें ये  कैसी माया  नगरी है, ऐसा क्यों  होता है,
हर जलते चिराग के तले ही, अँधेरा क्यों होता है।
सदियों से जो होता आया, आज भी वही होता है,
जो दुनिया का पेट भरता, वही भूखे पेट सोता है।

करता जो दिन रात परिश्रम, उसे तनिक चैन नहीं,
ना उसके लिए कभी दिन होता, कोई भी रैन नहीं।
हर घर पहुँचता जिसकी मेहनत, सुख चैन बनकर,
सबको सन्तुष्ट  वो करता, पर रहता है बेचैन नहीं।

हम सभी भारत जैसे, विकासशील  देश में रहते हैं,
हमारे देश में  मज़दूरों को, विश्वकर्मा भी  कहते हैं।
आराम को हराम समझ, दिन-रात परिश्रम करते हैं,
ख़ुद भूखे पेट रहकर भी, हम सभी के पेट भरते हैं।

🙏🌷यथार्थ जीवन🌷🙏

मज़दूर  कड़ी  मेहनत कर, हमें  साहूकार  बनाते हैं,
अपनी मेहनत को साकार हेतु, कर्जे में डूब जाते हैं।
तन पर वस्त्र  नहीं इनके, फटेहाल  जिन्दगी जीते हैं,
ज्यादा की  लालच  नहीं, केवल सूखी रोटी खाते हैं।

अपनी  जरूरतों  के कारण, कर्ज तले  दब जाते हैं,
सबकी क्षुधा  शांत कर, ख़ुद सूली  पर टंग  जाते हैैं।
सपना सारा सच करने को, नई-नई जुगत लगाते हैं,
मेहनत इनका जीवन, ईमानदारी से रिश्ता निभाते हैं।

मज़दूरों का कभी भी, राजनीति से  ना कोई नाता है,
जीवन दायिनी है,युग पुरुष है, ये हमारे अन्न दाता हैं।
दिन-रात  मेहनत  करके, सुख  चैन की नींद  देते ये,
कभी घबराते नहीं, दुखों से जन्म-जन्म  का नाता है।

🙏🌷 मज़दूरों की सोच 🌷🙏

सोचता  यही  पल पल, क्या आज  काम  कर पाऊँगा,
अगर आज़ नहीं गया तो, परिवार को क्या खिलाऊँगा।
यही हाल रहा तो लेनदारों के  कर्ज को कैसे चुकाऊँगा,
समय पर मजदूरी गर ना मिली, कर्ज तले मर जाऊँगा।

🙏🌷 सरकार से अपील 🌷🙏

आंदोलन ना हड़ताल, ना ही देश  बंद होना चाहिए,
सरकार को इनकी मांगों पर, विचार करना चाहिए।
मज़दूरों  का  हरगिज़  नहीं, अपमान  होना  चाहिए,
विश्वकर्मा की इस धरा पर, इनका मान होना चाहिए।


🙏🌷 मज़दूर दिवस की देन🌷🙏

अनेकों ने  दी कुर्बानियाँ, तब  यह  अवसर  आया है,
आठ घंटे का कार्य हो, साप्ताहिक अवकाश पाया है।
लड़ी लड़ाईयाँ  मज़दूरों ने, अपने अधिकारों के लिए,
पहली मई मज़दूर दिवस का, रूप बदलकर आया है।

जिनके  नस  नस  में केवल, खुद्दारी  ही  समाई हो,
काम की  पूजा  करके जो, कौड़ी कौड़ी  जमाई हो।
मज़दूर  कभी  मगरूर नहीं, केवल  मजबूर  होते हैं,
मज़दूर  दिवस की सभी को, बहुत-बहुत  बधाई हो। 

                     🙏🌷 मधुकर 🌷🙏


(अनिल प्रसाद सिन्हा 'मधुकर', जमशेदपुर, झारखण्ड)
(स्वरचित मौलिक रचना, सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)

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3 Comments

Abhinav ji

02-May-2023 08:29 AM

Very nice 👍

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बहुत ही सुंदर और यथार्थ चित्रण

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Reena yadav

01-May-2023 10:40 PM

👍👍

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