Sangeeta singh

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पिंजरा

   गर्मी की छुट्टियां होने को थी ,शुभम खुश था क्योंकि उसे नाना नानी के घर जाने का अवसर मिलता ।साल में एक बार वो मम्मी के साथ गांव जाता ।
     शहर में कंक्रीट के जंगल में हरियाली तो जैसे लुप्त हो चुकी है , बड़े बड़े अपार्टमेंट  और उसकी  बालकनी में झांकते लोग जैसे किसी पिंजरे में कैद हों ।
   शुभम की भी जिंदगी ऐसे ही कट रही थी,घर से स्कूल और थोड़ा खेलकर उसे भी अपने अपार्टमेंट के घर नुमा पिंजरे में कैद होना होता ,इस दिनचर्या से उसका दम घुटता था।
 माता पिता की इकलौती संतान था,मम्मी टीचर,और पापा मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे वो ज्यादातर दुबई में ही रहते थे।
    आज स्कूल का अंतिम दिन था ।लिफ्ट में वो खड़ा सोच रहा था , मम्मी पता नहीं इस बार गांव जाएगी...... ?,कई बार तो पूछा लेकिन वो जाने के मूड में नहीं हैं।उन्हें इस बार स्कूल में छुट्टी में भी काम करना है।सरकार ने कई ट्रेनिंग प्रोग्राम शिक्षकों के लिए तैयार किए हैं जिसे अटेंड करना है।
  प्लीज प्लीज भगवान जी कैसे भी वो गांव चल चलें,ट्रेनिंग प्रोग्राम रद्द हो जाए_वो लगातार ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था।
 लिफ्ट रुकी वो अपने फ्लैट के दरवाजे के पास मुरझाया उम्मीद का दामन पकड़े ,दरवाजा खुलने का इंतजार करने लगा।
  मम्मी ने दरवाजा खोला खुशी से उनका चेहरा चमक रहा था उन्होंने कहा _शुभम अच्छी खबर है।
 शुभम की आंखें आश्चर्य से अपनी मां की ओर उठीं।
  मां कुछ कहती इससे पहले मामा दिख गए।
मामा.….. _बैग सोफे पर फेंक हुआ शुभम दौड़ कर अपने मामा के सीने से लिपट गया।
   मां ने बताया "बेटा  मैं नहीं जा पाऊंगी।तेरे मामा ये जानकर कि तू भी नहीं आ पाएगा ,तो तुझे लेने आ गए ।कल  मामा  गांव लौट जाएंगे तुम्हारी सारी तैयारी मैने कर दी है।"
  शुभम की खुशी का ठिकाना न था।
    खबर सुन वो बार बार खुशी से मम्मी को चूमने लगा।सारिका महसूस कर पा रही थी शुभम की खुशी ।
   शुरू से शुभम को  प्रकृति से प्यार था।वो अब 13 साल का हो गया है लेकिन जब वो 7,8 साल का था तो घंटों तालाब के पास बैठा करता उसमें कंकड़ डाला करता।कभी कभी तो कहता भी  कि मम्मी मैं पढ़ लिख कर किसान बनूंगा।सब उसकी बातें सुन हंसते।
    रात भर शुभम करवटें बदलता रहा उसे नींद नहीं आ रही थी।सारिका भी कहां सो पा रही थी,उसका घर  शुभम के जाने के बाद सूना हो जाएगा।शुभम को कुछ दिन उन्मुक्त पक्षी की तरह नील गगन रूपी अपने गांव के खेत _खलिहान , तालाब_बावड़ी में उड़ने का मौका मिलेगा ,लेकिन वो तो अकेली इन तीन कमरों में कैद होकर रहेगी।दिन का समय निकल जाएगा लेकिन रात तो काटने को दौड़ेगा।सोचते सोचते पता नहीं कब नींद आई ,सुबह मामा ने शुभम और सारिका को उठाया ।शुभम जा रहा था ,नाना नानी के पास लेकिन सारिका के लिए दुखी भी था।उसने जाते जाते कहा _मम्मी मौका मिले तो आ जाना ।
सारिका मुस्कुरा कर रह गई।
  
  समाप्त 
 

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2 Comments

Abhinav ji

02-May-2023 08:58 AM

Very nice 👍

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Mohammed urooj khan

01-May-2023 10:25 PM

👌👌👌👌

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