हे हिन्द देश के रतन
हे हिंद देश के रतन
हम करते है तुम्हें नमन
विजय पथ पर चलते हो तुम
ना रोकते हो कभी कदम
हे हिंद देश के रतन........
कदम जिधर बढाते हो
उधर कांपते है दुश्मन
शेर सा दहाड़ कर
तु बांध के निकला है कफन
हे हिंद देश के रतन..........
माँथे पर विजय तिलक लगा
अस्त्र शस्त्र से सजा तेरा तन
जंग के मैदान में
शत्रु को करता तु दमन
हे हिंद देश के रतन..........
देश के प्रति समर्पण तुम्हारा
सौर्य का करता है सृजन
तेरी इस बलिदानों को
वीरगाथा गाते है जन जन
हे हिंद देश के रतन...........
✍अंकित राज
Atul Kumar
17-Oct-2021 07:47 AM
Nice
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Rubi Kumari
14-Oct-2021 07:16 AM
Very good 👍
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ऋषभ दिव्येन्द्र
12-Oct-2021 06:21 PM
शानदार जानदार रचना
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