हार्टलेस
सोनल मीनल दोनों आज दादी के साथ सुबह की आरती कर रही थी आज सोनल को जाना भी था तो वो नहीं चाहतीं थी कि दादी को कोई भी मौका मिले बोलने का और वो अपना मूड ऑफ करके जाए ।
मम्मी ने सोनल के लिए रास्ते में खाने के लिए उसके पसंद के दही भल्ले बना कर पैक कर दिए, और थोड़ा सा सूखा नाश्ता भी जो वो ले जा सकती थी,.
नाश्ते की टेबल पर रखा नाश्ता ठंडा हो रहा था मगर बलवीर का ध्यान आज कहीं और ही था, उनको सोनल का इस तरह अपने दोस्तों के साथ जाना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था वह तो यही चाहते थे कि किसी भी तरह सोनल का जाना रुक जाए या फिर वो खुद मना कर दे
सोनल तुम्हारा नाश्ता हो गया हो तो चलो तुम्हे कॉलेज छोड़ देता हूं… देवाशीष ने सोनल से कहा
जी भैया.., हो गया मेरा नाश्ता चलिए, कहते हुए सोनल अपना बैग लेने चली गई
देवा, सोनल की मास्टरनी जी को बोल कर आना कि इसका ध्यान रखें और अकेले कहीं पर भी जाने न दे । समझा देना उनको अच्छे से… सुन लिया तूने
जी दादी समझ गया मैं बोल दूंगा सभी टीचर को ..... मीनल तुम नहीं चल रही तुम्हारी भी तो क्लास होगी ना, देवाशीष ने मीनल से कहा,
नहीं भैया आज मेरी क्लास नहीं है एक ही क्लास है वो भी लंच के बाद तो अगर जाऊंगी तो देर से निकलूंगी मैं आज,
ओके, ख्याल रखना अपना.. बोल कर देवाशीष सोनल को लेकर निकल गया,
वो दोनों कार में बैठ गये, सभी उनको बाहर तक छोड़ने आये, और सोनल को सरस्वती ने थोड़ा सा समझाया..
थोड़ी में है वो कॉलेज पोहचे.. देवाशीष ने सोनल से कहा ठीक है बेटा, तुम अपना ध्यान रखना और समय समय पर मम्मी से बात करती रहना ताकि घर में किसी को चिंता न हो
जी भैया,, आप निश्चित रहिए बाय बाय..
बोलते हुए सोनल अपनी सहेलियों के पास चली गई और देवाशीष अपनी बहन के चेहरे पर आईं खुशी को वहीं रुक कुछ देर देखता रहा और फिर चल दिया अपनी मंजिल यानी की अपने हॉस्पिटल की तरफ़ जहाँ बहुत सारे पेसेंट उसका इंतिजार कर रहें थे,..
देवाशीष यही सब सोचते हुवे कार चला रहा था, तभी उसको बाहर से आवाज़ आयी.. पकड़ो, पकड़ो की आवाज ने देवाशीष को एक दम गाड़ी से बाहर देखने पर मजबुर कर दिया,
उसका ध्यान बाहर अपनी साइड की और था और अचानक से उसको लगा की कार के सामने कोई है … उसने तेजी से ब्रेक मारे, और सामने की तरफ देखा की उसकी गाड़ी के सामने एक लड़की गिरते गिरते बची थी, लेकिन अच्छा ये रहा के कार उससे टकराई नहीं थी, उस लड़की के हाथ में एक ब्रेड का पैकेट था जो आधा वहीं जमीन पर गिर गया था जिसके कुछ टुकड़े उसके मुंह में भर रखे थे जिसकी वजह से वो हाफ रही थी
देवाशीष की तरफ उसकी पीठ थी एक दम गाड़ी रोक कर जब वह नीचे उतरा तब तक उस लड़की के पीछे भागते चार पांच आदमी आ पहुंचे थे और यह देख वो लड़की डर के मारे वहां से भाग गई, देवाशीष ने उसकी एक हल्की सी झलक देखी तब तक वो जा चुकी थी
क्या हुआ?? तुम सब उस लड़की के पीछे क्यू भाग रहे हो ऐसे ।
देवाशीष ने उन सब को रोक कर पूछा
कुछ नहीं जी, चोर है साली ,, एक आदमी ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा
क्या चुराया तुम्हारा उसने देवाशीष ने उनसे पूछा?
मेरा तो कुछ नहीं हां पर ये है ना दीनू इसकी दुकान से ब्रैड उठा कर खा रही थी इसने भगाया तो ब्रेड ले कर ही भाग खड़ी हुई
देवाशीष को गुस्सा आगया.. उसकी हालत तो देखो तुम लोग , शायद कोई विक्षिप्त है उसे भूख लगी होगी तो एक ब्रैड उठा भी ली तो क्या,, पांच पांच लोग पीछे भागोगे किसी लड़की के , शर्म नहीं आती तुम लोगो को, अभी वो मेरी गाड़ी के नीचे आ जाती तो क्या होता, थोड़ी तो इंसानियत रखो ,..
कितने की थी ब्रैड , देवाशीष ने पर्स निकालते हुए कहा
जी कोई बात नहीं साहब, मुझसे गलती हो गई,, इस बार दीनू के कंठ से आवाज निकली, अब उनको भी थोड़ा अहसास हुआ था, बाकी लोग पीछे हट गये थे, कुछ को तो शायद पता ही नहीं था के उसने बस ब्रेड उठाया है, और वो बस दीनू के बोलने पर उसके पीछे भाग लिए थे,..
लो यह 500 रूपए रखो अगर वो फ़िर तुम्हारी दुकान पर आए तो उसे खाने के लिए दे देना.. देवाशीष ने दीनू दुकान वाले को पैसे देते हुवे कहा..
जी साहब,, पैसे ले कर दीनू ने अपनी जेब के हवाले किए और बाकी सब अपने अपने रास्ते चल दिए, कुछ लोग तो दीनू को ही बुरा भला बोलते जा रहें थे के हमको बिना वजह के उस लड़की के पीछे भगा दिया ।
उस लड़की को देख देवाशीष के दिमाग़ में कुछ याद आया था, कुछ दिन पहले ही उसकी बहनो ने कॉल थी किसी लड़की के बारे में उसको, देवाशीष सही से देख तो नहीं पाया पर शायद ये वहीं लड़की थी, सोचते हुए देवाशीष कब अपने हॉस्पिटल पहुंच गया उसे भी पता नहीं चला..
वो अपने ही ख्यालों में खोया अपने केबिन में बैठ गया, पता नहीं कैसे उसका मन बहुत अजीब सा था, देवाशीष को एक अलग सी बेचैनी हो रही थी जिसको वो खुद भी समझ नहीं पा रहा था, अभी वो घर से ख़ुशी के साथ नाश्ता कर के आया था कोई परेशानी की बात भी नहीं थी, लेकिन ना जाने ऐसा क्यों था ।
यह रहीं आपकी कॉफ़ी डॉक्टर साहब ,,,... कॉफी रखते हुए मिस रोज़ी ने कहा पर देवाशीष का ध्यान वहा नहीं था..
सर आपकी कॉफी ,,, जोर देते हुए एक बार फिर उसने कहा तो देवाशीष को याद आया कि वो हॉस्पिटल आ चुका है ।
रख दो मिस रोज़ी और मरीजों को भेजना शुरू करो, देवाशीष ने कॉफी उठाते हुवे कहा..
पहले तो आप बताइए आपको क्या हुआ है, या मुझे लगता है कि मुझे ही आपके घर जा कर आंटी जी से बात करनी पड़ेगी
क्या बात मिस रोज़ी?
यही की अब आपकी शादी की उम्र हो गई है आपकी शादी करवा देनी चाहिए कब तक आप ऐसे ही मुंह लटका कर आते रहेंगे हॉस्पिटल.. मिस रोज़ी ने चहकते हुवे कहा,..
बस बस,, मुझे माफ़ करो मिस रोज़ी ,,,.. अभी मैं शादी वादी के चक्कर में नहीं पड़ने वाला ।
जिस से शादी करनी थी वो तो पता नहीं कहाँ है,.. किसी और के घर आंगन में अपना जीवन बिता रही होगी अब यह दिल है कि किसी को पसंद ही नहीं करता तो कोई क्या करें.....देवाशीष ने थोड़ा बुदबुदा कर कहा और फ़ाइल देखने लगा ।
जी आपने कुछ कहां, रोज़ी ने पूछा,..
जी नहीं मिस रोज़ी आप मरीजों को भेजिए बहुत देर से इंतजार कर रहे हैं, देवाशीष ने कहा और अपने आपको सम्हाला..
देवाशीष अपने हॉस्पिटल में व्यस्थ हो गया और मिस रोज़ी मरीजों को व्यवस्थित करने में,,,
घर पर मीनल का बिल्कुल मन नहीं लग रहा था एक तो उसकी बहन पहली बार कहीं अपनी सहेलियों के साथ घूमने गई थी , इस लिए उसे घर पर अकेले अच्छा नहीं लग रहा था ऐसा पहली बार था जब सोनल और वो एक साथ कहीं नहीं गयी थीं, वो बाजार जाती या किसी रिश्तेदार के यहाँ.. हमेशा दोनों एक साथ जाती, दूसरा उसे जाने का मौका नहीं मिला तो उसका मन वैसे ही शिमला की हसीं वादियों को याद कर मचल रहा था कि काश वो भी दीदी के साथ जा पाती तो कितना मजा आता ।
इस सब के बावजूद कहीं न कहीं उसे इस बात की तस्सली भी थी कि अभी भाई के कहने पर कम से कम दीदी को जाने तो दिया अब कभी मेरे कॉलेज में ट्रिप होगी तो मुझे भी जाने को मिल सकता है, उसने किताब उठाई और अपनी सेल्फ स्टडी में लग गयी..
उधर सोनल की बस जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी उस में बैठे हर शक्श की खुशी बढ़ती जा रही थी दोस्तो के साथ अपनी मन पसन्द जगह घूमने जाने का आनंद ही कुछ और होता है, सभी बहुत खुश थी और कोई बाहर देखता तो कोई अपने मोबाइल से सेल्फी ले रहा था,
May I attention please
साथ की एक लड़की ने बोलना शुरू किया तो सब उसकी तरफ देखने लगे हम सब ऐसे बोर होते हुए तो नहीं जा सकते
तो ऐसा करते हैं हम सब मिल कर अंताक्षरी खेलते हैं
ऐ ,, अब आएगा मजा
सब एक दूसरे की तरफ देख खुश हो मुस्कुरा रहे थे
हसी मजाक, नए पुराने गीत गुनगुनाते कब समय कट गया पता ही नहीं चला
शिमला पहुंचते पहुंचते शाम होने को आई थी सोनल ने
अपने घर फोन लगा ठीक से पहुंच जाने की बात बता दी ।
घर में सब के मन में थोड़ा बहुत डर था पहली बार बेटी को इस तरह अकेली भेजने का ,,,, अभी तक मार्केट और मंदिर के आलावा बेटियों को कहीं अकेले जाने की इजाजत नहीं थी
रात बेरात पार्टी , दोस्तो के साथ घूमना फिरना, या किसी तरह का नशा यह तो राय खानदान में आज तक किसी ने नहीं किया था ना ही किसी को इजाजत थी फ़िर चाहे वह बेटा ही क्यू न हो घर की मान मर्यादा यहां सब से ज्यादा जरूरी थी यही आज तक होता आया था और यही बच्चो को सिखाया जाता था ।
चलो सब लड़कियों,, एक रूम में तीन तीन हो जाओ और फ्फ्रेश हो कर बाहर गार्डन में आ जाओ सभी ।सोनल की टीचर सब को दिशनिर्देश दे रही थी
शिमला की सुरमई शाम में पेड़ों के पीछे दूर दूर से दिखती लाईट तारो के जमीं पर उतर आए हो ऐसा भर्म कर रहे थे, आज जीवन में पहली बार सोनल ने महसूस किया कि वास्तव में यह दुनियां कितनी हसीं है ।
Babita patel
07-Aug-2023 10:18 AM
Beautiful part
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RISHITA
06-Aug-2023 10:43 AM
Nice part
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Natasha
14-May-2023 08:20 AM
वेटिंग फॉर next chapter
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