Kavita Jha

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उड़ान

उड़ने की चाहत लिए
एकटकी लगाऐ
देख रही थी
वो नन्हीं गुड़िया
आकाश में उड़ती
चिड़िया को
हाथों को फैलाऐ
पंखों जैसे
करने लगी
वो भी कोशिश
उड़ने की
बादल को
छूना चाहती थी
खुले गगन में
उडा़न भरना
चाहती थी
पढ़ लिख कर
अपने दम पर
माता पिता के
आशीर्वाद से
उड़ा रही देखो
वो हवाई जहाज
अपने जैसे
कितनों की
चाहत को
कर रही है
वो पूरा
हाँ
महिला पायलट
बन
दुनिया में
नाम रोशन
कर रही है
अपने देश का
देखो
उस
नन्हीं गुड़िया ने
उडा़न भरने
की चाहत को
कर लिया पूरा

***
कविता की यह कविता हर महिला पायलट को समर्पित 🙏🙏🙏🙏😊💐💐💐✍️✍️
उडो़ तुम छू लो आकाश तुमको रहे हैं हम निहार..

***

# लेखिका प्रतियोगिता (प्रतिदिन विषय पर... दिनांक ३० सितम्बर)

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4 Comments

Swati chourasia

30-Sep-2021 12:47 PM

Very beautiful 👌

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Seema Priyadarshini sahay

30-Sep-2021 12:30 PM

बहुत खूबसूरत

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Aliya khan

30-Sep-2021 11:39 AM

बहुत सुंदर

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