साहित्य निधि-
परछाई-
विश्वास की सारी सीमाएँ तोड़ देती है धूप में आते परछाई साथ छोड़ देती है
हरदम चोली दामन का साथ बतलाती देखिए ये सच्चाई कैसे मरोड देती है
इसे न दर्द होता न तकलीफ दूर होने में चमकना चाहते साथ तनहा गोड़ देती है
भूल बस भी कहना नहीं की अपनी है हमने तो सुना है ये गम बेजोड़ देती है
मकसद से साथ रहती आप सच मान लेते अपको षडयंत्रों से अक्सर जोड़ देती है। किरण मिश्रा #निधि#
Punam verma
12-May-2023 06:23 AM
Very nice
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Abhinav ji
11-May-2023 09:00 AM
Very nice 👍
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Raghuveer Sharma
10-May-2023 11:56 PM
👌👌
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