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हिचकियाँ




गीत(हिचकियाँ)


आने लगीं हिचकियाँ मुझको,
याद पिया करते होंगे।
निश्चित लेकर नाम हमारा,
 आहें वे भरते होंगे।।

पति-पत्नी-संबंध चिरातन,
एकमात्र संबंध यही।
सत्य प्रेम का ही तो होता,
जग में बस अनुबंध यही।
जा विदेश में प्रियतम मेरे,
घुट-घुट कर रहते होंगे।।
    आहें वे भरते होंगे।।

सातों फेरे सात जन्म के,
हैं अटूट बंधन प्यारे।
यही धर्मिता मनुज-जन्म की,
जग में हैं माने सारे।
अमल इसी का प्रियतम मेरे,
निश्चित ही करते होंगे।।
      आहें वे भरते होंगे।।

कहीं नहीं मन लगता होगा,
मेरे साजन का अब तो।
मेरा हृदय भी धक-धक करता,
सूख गए हैं अब लब तो।
मधुर मिलन की आस लगाए,
अरमाँ कुछ कहते होंगे।।
     आहें वे भरते होंगे।।

मैं भी बैठी माँग सजाए,
पिया-मिलन की आस लगा।
मुखड़ा साजन का देखूँगी,
मधुर मिलन की प्यास जगा।
मुझसे मिलने के उनके भी,
अरमाँ भी जगते होंगे।।
     आहें वे भरते होंगे।।
           ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
             ९९१९४४६३७२



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7 Comments

Babita patel

12-May-2023 03:54 PM

awesome post

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madhura

12-May-2023 03:09 PM

very nice

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खूबसूरत

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