Madhu Arora

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इंतहान

भाग 11 
अभी तक आपने पढा, गांव वालों के आने पर रघुनंदन राधिका पर तरह-तरह के लांछन  लगाने पर उसकी मांग भर दी, राधिका ने गुस्से में आकर कई बाल्टी पानी से ऊपर डाल कर लो खुल गया हमें किसी की भी  पत्नी नहीं रही, और  अपने गांव वापस जाने का निश्चय कर लेती है।
रघुनंदन माफी मांगते हैं।
राधिका सारी रात असमंजस में काट देती है सुबह रजिया काकी काम पर आ गई वह राधिका से कहने लगी 
एक बात कहें अब तुम्हारा इस बच्चे के सिवा कोई नहीं है वहां जाकर भी तुम क्या करोगी पता है ।अकेली औरत को यह समाज जीने नहीं देता पता है बिटिया हमने अपनी जिंदगी अकेले कैसे गुजारी है यह हम ही जानते हैं एक विधवा का कोई नहीं होता और फिर तुम दिल से चाहे मानो
या ना मानो लेकिन समाज के सामने तुम ठाकुर साहब के ब्याहता हो ।

प्रधान जी स्वभाव के बहुत अच्छे हैं पूरा गांव उनकी इज्जत करता है।

जाओगी तो ठीक है और अगर नहीं जाओगी तो किसी अनाथ बच्चे की जिंदगी संवर जाएगी अच्छा इतना कह कर रजिया वहां से काम करने चली गई।
रजिया की बातें सुनकर राधिका सोच में पड़ गई क्या फैसला लें।

 रजिया काकी तो कुछ भी कहती है चल मैं स्नान करके आती हूं फिर नाश्ता भी तो बनाना है राधिका ने स्नान करके सूर्य भगवान को जल चढ़ाया। तुलसी की पूजा ,
 और रसोई में जाकर आप क्या कर रहे हैं चलिए यहांँ से
  रघुनंदन ने कहा कल से तो खाना मुझे ही बनाना है इसलिए आदत डाल रहा हूं। क्योंकि आज तो आप चली जाएंगी तब राधिका कहने लगी मैं कहीं नहीं जा रही हूं अपने नन्दू को छोड़कर।
  
  आप छोड़िए रघुनंदन सिंह सब कुछ छोड़कर चेहरे पर हल्की सी मुस्कान देकर चले गए आज घर में थोड़ी रोनक के चेहरे पर मुस्कान थी।
  
  इतने में सोनिया राधिका के पास आई और बोली राधिका बहन देखो मैं देवी के मंदिर गई थी वहाँ से तुम्हारे लिए सिंदूर और प्रसाद लाईं हूँ, राधिका बोली अभी तो मैं कल के सदमे से उबर नहीं पाई हूं और आज तुम यह सब लेकर आ गई। हो राधिका ने दुखी होकर सोनिया से कहा?
  
    तो सोनिया कहने लगी लेकिन बहन यह सब करने से अगर तुम पर लोग उंगली उठाना बंद कर देते हैं तो क्या बुराई है यह सब करने से समाज का मुंह बंद होता है तो क्या बुरा है सोनिया कहने लगी।
    
    रजिया काकी भी बोली" बेटा अगर इन सब चीजों को लगाने से लोगों की हम निगाहों से बच सकते हैं तो क्या बुराई है" और सोनिया ने राधिका की मांग में सिंदूर भरकर कलाइयों में लाल चूड़ियां पहना कर चली गई । राधिका और आईने में खुद को देखने लगी आज फिर से अपनी मांग में सिंदूर भरा देख कर उसे अच्छा लगा।
    
    दीनू काका भी दोपहर का खाना खाने घर आ गए वह राधिका को देखकर  मन ही मन मुस्कुराते हुए बोली "बिटिया तुम्हारे लिए यही सही है और यहां तुम हमेशा खुश रहोगी काश तुम्हारे मन की में मालिक के लिए भी प्रेम जाग जाए"।
     राधिका ने सबके लिए खाना परोस कर सबको बुलाया रघुनंदन सिंह खाना खाने रसोई में पहुंचे और राधिका का ऐसा रूप लेकर अंदर ही अंदर प्रसन्न हो गए ।शाम को रजिया बर्तन मांजने आई। बिटिया तुम्हारे लिए यही सही है और आज मांग में सिंदूर भरा आशीर्वाद दिया।
     
     राधिका ने अब पूरा घर संभाल लिया।
     
    राधिका ने  उसे बाड़ी को हरा-भरा बना दिया फूलों के पौधे लगा दी गई पर गुलाब के पौधे उस मिर्ची लगा दिया था जो भी आता देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता हर कोई बोलता देखो घर की शोभा को औरत से ही होती है रघुनंदन यह सोच कर खुश हो जाता और मन ही मन मुस्कुरा कर रह जाता।
    
    क्या आगे रघुनंदन और राधिका एक हो पाएंगे या दोनों का जीवन ऐसा ही चलता रहेगा। अगले भाग में देखिए क्या होता है कृपया अपने सुंदर-सुंदर लाइक और कमेंट दीजिए आपके लाइक और कमेंट मेरा हौसला बढ़ाते है।
    धन्यवाद 🙏🙏💐

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