प्रतियोगिता 13-05-2023
दिल की किताब
छेड़ा जो दिल की किताब को
पन्ना एक पुराना हाथ आया
बैठा जो हिसाब लगाने दर्द
दर्द नया है या पुराना
समझ कुछ न आया
टटोला दिल को बार-बार
कहां छुपा रखा था
गम दर्द बेवफाई का सरमाया
झकझोरा यादों को बार-बार
धड़क उठा दिल
.मुस्कुराते हुए बताया धीमे से
जानता नहीं क्या तू
दफन कर दिए सारे गम तूने मुझ में
पता नहीं क्या तुम्हें
दिल से बड़ी कब्रगाह
नहीं कोई दुनिया में
दिल में बसे में प्यार ने भी सिर उठाया
.मुझे याद दिलाया
जानता नहीं क्या
कुछ भूल गया कुछ भुला दिया तूने
कैसे दूर किया अपनों ने
कोई फर्क न पड़ेगा दुनिया को
तेरे चले जाने से
निहार ले आसमां को गौर से
कम न हुईं रौनक कभी
एक आध तारा टूट जाने से
छेड़ा जो दिल की किताब को
पन्ना दूजा मैंने पलटाया
तनहाइयों को साथी बना लिया
आदत
खामोशियों संग रहने की हो गई
तन्हा भी रातें गुजार लेता हूँ
कांटों भरी राह में रफ्तार से चलता हूं .
यादें तेरी विसार चुका मैं
यादें तेरी विसार चुका मैं
..........मौलिक रचना
उदयवीर भारद्वाज
भारद्वाज भवन
मंदिर मार्ग कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश 176001
मोबाइल 94181 87726
madhura
14-May-2023 01:39 PM
very painful poem sir
Reply
Punam verma
14-May-2023 06:52 AM
Very nice
Reply