चोटी की पकड़–22

नौकर से कहकर सिकत्तर यूसुफ के पास आए। 


कहा, "बाईजी आपसे बातचीत करेंगी, शर्त एक रहेगी, आप राजा साहब के बारे में कोई बात न उठाएँगे।"

"हम किसी शर्त पर बातचीत न करेंगे," यूसुफ ने पुतलियाँ पलटकर कहा।

सिकत्तर फिर एजाज के पास गए।

 सुनकर एजाज ने कहा, "आप समझे? - उन्हीं की गरदन नापी जाएगी। हमारा और इनका कहना लिख लीजिएगा।

 हम नीचे चलते हैं। 

लिखकर सभ्यता से उन्हें भेज दीजिए; गुलशन ले आएगी। आदमियों से कह दीजिएगा, होशियारी रखें।"

एजाज गुलाबबाड़ी में आकर बैठी। 

सिकत्तर ने लिखकर यूसुफ से आकर कहा, "सरकार की फतह रही। गुलाबबाड़ी में हैं। 

तशरीफ ले चलिए।" गुलशन की तरफ हाथ उठाकर कहा, "यह ले जाएगी।"

गुलशन यूसुफ को ले चली।

 गुलाबबाड़ी में एजाज ने नसीम को कीमती साड़ी पहनाकर बैठाला था। 

बगीचे की शोभा देखते हुए यूसुफ चले।

 अंधेरा हो आया था। कुछ दूर एक गैस की बत्ती जल रही थी।

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