लेखनी प्रतियोगिता -04-Sep-2023 बिन मांगी दुआ काबुल
राम सेवक दो दिन बाद अपने घर वापस आता है तो उसकी पत्नी लाजवंती राम सेवक से बहुत झगड़ा करती है।
राम सेवक भी उसकी जली कटी बातें चुपचाप सुनता रहता है क्योंकि इन दिनों राम सेवक अपने घर के सारे काम छोड़ कर अपने बचपन के मित्र सत्यनारायण की बेटी की शादी की भाग दौड़ में व्यस्त था। और अपनी जवान बेटी की शादी की उसे कोई चिंता नहीं थी। ऐसा उसकी पत्नी लाजवंती की सोच रही थी।
उसकी पत्नी की भी गलती नहीं थी क्योंकि उसे पता था की बेटी रात दिन जवान हो रही है और हमारे पास उसकी शादी के लिए एक फूटी कौड़ी भी नहीं है।
लेकिन ऐसा नहीं था। राम सेवक को अपनी बेटी की शादी की चिंता रात दिन सताती थी। इसलिए मेहनत मजदूरी करके वह जो भी पैसे कमाता था, उसमें से घर खर्च के पैसे निकालकर बाकी पैसे अपनी बेटी की शादी के लिए बैंक में जमा कर देता था।
लेकिन अब तक इतने भी है पैसे जमा नहीं हो पाए थे कि वह अपनी बेटी की साधारण से साधारण शादी भी कर पाए। राम सेवक के दोनों बेटे बहुत छोटे थे, उनसे भी उसे बेटी की शादी की दस वर्ष से पहले मदद की कोई उम्मीद नहीं थी।
सुबह राम सेवक सत्यनारायण के घर जाने से पहले अपने बीवी बच्चों से कहता है कि "शाम को सत्यनारायण की बेटी की बारात आएगी, तुम सब तैयार होकर सत्यनारायण के घर पहुंच जाना।" और अपनी बीवी को समझाते हुए कहता है कि "मैं अपनी बेटी समझकर सत्यनारायण की बेटी की शादी में कर मदद कर रहा हूं।
सत्यनारायण की बेटी की बरात आने के बाद जब राम सेवक अपनी पत्नी के साथ खाना खाता है, तो राम सेवक की पत्नी की आंखों से आंसू बहने लगते हैं, क्योंकि उसे पता था कि हमारे घर की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा खराब है कि हम ऐसी धूमधाम से क्या मंदिर में भी अपनी बेटी की शादी करने की स्थिति में नहीं है और नाही जेवर कोई कपड़ा खरीद सकते हैं और ना ही थोड़े बहुत लोगों को भोजन करवा सकते हैं।
इतने में सत्यनारायण और उसकी पत्नी राम सेवक के पास आकर कहते हैं कि "हमारी बेटी ने पड़ोस के लड़के के साथ मंदिर में प्रेम विवाह कर लिया है, और अगर बरात बिना दुल्हन के वापस लौट गई तो मेरे परिवार की इतनी बदनामी हो जाएगी कि मेरी छोटी बेटी से भी कोई शादी नहीं करेगा। इसलिए अपनी बेटी की शादी इस दुल्हे से कर दो।"
सत्यनारायण और उसकी पत्नी की यह बात सुनकर राम सेवक और उसकी पत्नी बहुत खुश हो जाते हैं।
और फिर राम सेवक सत्यनारायण से कहता है कि "मैं एक शर्त पर अपनी बेटी की शादी इस दूल्हे से करूंगा तुमने जो बेटी की शादी में पैसे खर्च किए हैं। मैं वह पैसे कर्ज समझकर धीरे-धीरे तुम्हें वापस लौटाऊंगा और अगर मैं नहीं लौटा पाया तो मेरे बेटे तुम्हारा कर्ज लौट आएंगे अगर वह भी नहीं लौट पाए तो उनके बेटे तुम्हारे कर्ज उतरेंगे।"
राम सेवक कि यह बात सुन कर सत्यनारायण और उसकी पत्नी बहुत खुश हो जाता है।
सत्यनारायण राम सेवक दूल्हे और दूल्हे के पिता को सारी सच्चाई बता देते हैं। दूल्हा दूल्हे का पिता कहते हैं कि "अच्छा हुआ शादी से पहले ही यह घटना हो गई है, नहीं तो शादी के बाद हमारी बहुत बदनामी हो जाती है।"
बेटी की शादी होने के बाद राम सेवक और उसकी पत्नी आपस में कहते हैं कि ईश्वर ने हमारी बिन मांगी की दुआ कबूल कर ली सच में ईश्वर सबका मां पिता जैसे ख्याल रखते है।"
डॉ. रामबली मिश्र
18-May-2023 01:21 PM
👏👏
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Milind salve
16-May-2023 06:55 AM
शानदार
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Mohammed urooj khan
15-May-2023 09:52 PM
👌👌👌👌👌
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