रक्षक (अंतिम : भाग)
रक्षक भाग : 26
रक्षक का हाथ हवा में ही रुक गया वह अवाक होकर आवाज की दिशा में देखने लगा। उसके आश्चर्य की कोई सीमा नही रही, सामने हवा में नीला हरा पोशाक पहने हुए खड़ा था उसका ही प्रतिरूप, उसका लाल रंग का लबादा लहरा रहा था, देखने में वह भी रक्षक के समान ही लग रहा था। फोर जे और यूनिक भी उसे देखकर हैरान के साथ खुश भी हुए, तमस उसे देखकर अत्यधिक आश्चर्यचकित था उसकी आँखें फ़टी की फटी रह गयी।
"लहू….." - सभी आश्चर्यमिश्रित स्वर में बोल उठे।
"महारक्षक लहू तुम!" - तमस को अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा था।
"हाँ मैं!" - लहू बोला। अर्थ और बाकी के सैनिक लहू को देखकर बहुत खुश हुए और उसके सम्मान में झुककर घुटने के बल बैठ गए।
"परन्तु तुम हमारे जाल से बाहर कैसे निकले?" - तमस के आश्चर्य की सीमा न थी।
"निश्चय ही तुम्हारी चाल काबिलेतारीफ थी अंधेरे के बेटे! पर उजाले के बेटे को कम समझने की भूल कर दी तुमने! हालांकि इस चीज को समझने में मुझे काफी समय लग गया पर जब अंधेरे की शक्ति क्षीण हुई उस क्षण मैं उजाले के इस केंद्र तक पहुचने में सफल हुआ।" - लहू बोला।
"तुम सबकी बकवास खत्म कब होगी?" - रक्षक, तमस के गले को पकड़कर उठाते हुए बोला।
"रुक जाओ!" - लहू जोर से चीखा।
"क्यों रुक जाऊं? क्या मैं तुम्हारी आज्ञा मानने को बाध्य हूँ?" - रक्षक, तमस के चेहरे को जोर से दबाते हुए बोला, तमस के चेहरे पर रक्त की बाढ़ आ गयी थी, उसका मुँह उसके ही रक्त से भर गया था।
"क्योंकि मैं तुम्हारा पिता हूँ!" - लहू सपाट स्वर में बोला।
"कौन पिता? कैसा पिता? तुम सिर्फ महारक्षक लहू हो! जो अपने बेटे से कभी मिलने नही आया, जो अपनी पत्नी को छोड़कर भाग गया, जो अपनी पत्नी को बचा भी नही सका।" - रक्षक एक-एक शब्द चीख-चीखकर बोला।
"मैं तुम्हे कैसे समझाऊं! मेरी समस्या तुम नही समझ पाओगे।" - लहू नम स्वर में बोला।
"मुझे कुछ भी समझना-समझाना, नही है।" - रक्षक का क्रोध बहुत भीषण था, उसका शरीर भावनाओ के ज्वर से तप रहा था। वह लगातार तमस पर हमले किये जा रहा था पर तमस अब उसके वार का उत्तर नही दे रहा था।
"आखिरी बार कह रहा हूँ! रुक जाओ रक्षक, मेरी बात को समझो तुम" - लहू लगभग चीखते हुए बोला।
"नही तो क्या करोगे तुम, महारक्षक लहू!" - जबरदस्ती मुस्कुराते हुए चेहरे के भाव कठोर कर रक्षक बोला। वह अब भी तमस पर वार करता जा रहा था, पर तमस कोई जवाबी वार नही कर रहा था; उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान बढ़ती जा रही थी, बहुत ही कुटिल और रहस्यमय मुस्कान थी उसकी, वह लहू के तरफ देखकर विचित्र हँसी हँसता है।
"रक्षक! तुम देख नही रहे हो तुम क्या करने जा रहे हो। मुझे पता है मैं तुम्हारे या तुम्हारी माँ के प्रति कोई जिम्मेदारी नही निभा पाया हूँ पर तुम्हे मेरी बात सुननी होगी, तुम वही कर रहे हो जो वो चाहता है।" - लहू एक एक शब्द पर जोर देकर बोला।
"इससे क्या फर्क पड़ता है कि कौन क्या चाहता है महारक्षक! मैं अपनी माँ को एक बार भी माँ नही कह सका, उसकी गोदी में सर रखकर सो नही सका, उसकी ममता के आँचल को महसूस नही कर सका, और मेरा पिता महारक्षक होने के बावजूद भी सदियों तक कायरो की तरह मुँह छिपाए बैठा रहा।" - रक्षक किसी अबोध बालक की तरह भावुक हो चुका था। उसका क्रोध उसे कुछ भी सुनने समझने नही दे रहा था। "पैदा होने के बाद मैं किसी अप्राकृतिक जीव की तरह पाला गया। मेरे पिता को मेरी एक बार भी चिंता नही हुई, एक बार भी अपने बेटे और पत्नी का ख्याल नही आया।" - रक्षक जोर-जोर से दहाड़ रहा थ।उसकी आँखों से आँसुओ की धार लगातार बह रही थी।
"मैं समझता हूँ बेटे! पर तुम्हे एक बार ये समझना होगा उजाले का मात्र एक ही केंद्र है, मुझे जैसे ही ज्ञात हुआ तुम दुग्धमेखला आकाशगंगा में हो, मैंने वहां एक पूरे शहर का निर्माण जेन्डोर ग्रह के तकनीक की सहायता से किया। वहां आवश्यता पड़ने पर तुम उजाले के केंद्र की रक्षा करते इसलिए मैं नही कर पाया कुछ। हमारे कर्तव्य कभी-कभी रिश्तों को बौना कर देते हैं बेटा, मुझसे जुड़ा हर रिश्ता मेरे कर्तव्य के सामने छोटा नज़र आया, और जब मैं वापस आ रहा था तो अंधेरे के बिछाए जाल में फंस गया। जिससे निकलने में मुझे पाँच वर्ष लग गए तब तक ये अपनी योजना को कार्यान्वित कर चुके थे।" - लहू, रक्षक को विस्तार से समझाते हुए बोला।
"मुझे बेटा न कहो महारक्षक! ये अधिकार नही है आपको, जन्म देने मात्र से कोई माँ बाप नही बन जाता।" - रक्षक, तमस को अपने हाथों से उठाते हुए बोला।
"रुक जाओ रक्षक! हमे मजबूर मत करो, इस समय तुम्हारी मानसिक स्थिति सही नही है, तुम इतने भावुक क्यों हो? अपनी माँ के लिए, उन्होंने भी छल किया हमारे साथ। तुम्हे नज़र नही आ रहा ये भी अंधेरे की एक चाल है। ये उजाले के एक अंश को हासिल करना चाहते हैं, वो तुम्हे मारना नही, तुम्हे अपनी तरफ करना चाहते हैं क्योंकि वो अच्छी तरह से जानते हैं तुम उन सबसे ताकतवर हो।" - लहू चीख-चीखकर समझाते हुए बोला।
पर रक्षक वास्तव में कुछ भी समझ पाने की स्थिति में नही था। उसका क्रोध उसको सही गलत का फैसला नही करने दे रहा था। वो बस तमस के खून का प्यासा बना हुआ था, तड़पा-तड़पाकर मारना चाहता था उसे।
"रुक जाओ रक्षक!" - रक्षक के हाथों को पकड़ता हुआ लहू बोला। " हमने तुम्हें कई बार निर्देश दिया, तुमसे कहा था कि तुम बस निमित्तमात्र हो, एक कुंजी हो जो अंधेरे का द्वार खोले तो अंधेरे को पार पाना असम्भव हो जाएगा।"
रक्षक का क्रोध नियंत्रण से बाहर था। उसने लहू के हाथ को पकड़कर जमीन पर गिरा दिया और उसके पीठपर घुटना रखकर बोला “तुम ये तब क्यों नही कहने आये जब मेरी माँ मेरे लिए अपने प्राणों की आहुति दे रही थी, तब कहा था तुम्हारा परमशक्तिज्ञान महारक्षक! तब कहा था तुम्हारा ये हाथ जो मुझे रोकने आया हैं।" रक्षक, लहू के हाथ को पकड़कर मरोड़ते हुए बोला।
"हाहाहा.. महारक्षक! तुम अब तक मेरी योजना नही समझे! तुम्हे क्या लगता है कि ये बच्चा मुझे हरा लेगा, नही, मैं जानबूझकर हार रहा था ताकि तुम बीच में आओ, अब मेरी योजना सफल होने से कोई नही रोक सकता। महारक्षक लहू का अंश अंधेरे का रक्षक बनेगा हाहाहा…." - अपने चेहरे पर बहते रक्त को पोंछकर तमस पागलो की तरह हंसते हुए बोला।
"मैं तुम्हे कभी सफल नही होने दूंगा तमस!" - लहू बोला।
रक्षक, लहू पर काली शक्तियों से हमला करता है, लहू अपने हाथों की उंगलियों को नचाते हुए विशेष क्रिया कर एक सुरक्षा कवच बना लेता है जिससे टकराकर काली शक्तियां छितरा जाती है।
"तुम कितने भी शक्तिशाली हो रक्षक! पर बाप, हमेशा बाप होता है।" - लहू उसके गाल पर जोर का तमाचा मारता है। रक्षक अपने गालो को सहलाते हुए लहू के छाती और सीने पर जोरदार घुसे मारता है जिससे लहू दो कदम पीछे चला जाता है।
"तुमने रक्षक नियम का उल्लंघन किया है रक्षक! इसके बदले तुम्हारी सारी शक्तियां ली जा सकती हैं।" - लहू धमकाते हुए बोला।
"तो ले लो न महारक्षक! इतनी देर क्यों? क्या फायदा ऐसी शक्ति का जिसके होने पर भी मैं अपनी मां को नही बचा सका!" - रक्षक बोला।
"वाह बड़ी अच्छी नौटंकी चल रही है, अब इसे समाप्त करने का वक़्त आ गया है।" - तमस अपने हाथों में द्विशूल लेते हुए बोला।
रक्षक, लहू को छोड़कर, अपनी पूरी गति से तमस की ओर दौड़ता है, उसके द्विशूल चला पाने से पहले उसके जबड़े पर जोरदार घुसा मारने वाला होता है कि तभी तमस गायब हो जाता है उसके हाथ द्विशूल से लगते है जिससे वो नीचे गिर जाता है।
"अभी उजाले के दूसरे केंद्र बाकी है महारक्षक! तुम किस किस को बचाओगे, अंधेरे से कोई नही जीत सकता, अँधेरा अजेय है।" - वातावरण में तमस का स्वर गूंजा उसके साथ ही द्विशूल भी वहां से गायब हो गया।
तमस के साथ ही रक्षक भी वातावरण में विलीन होने लगता है, अब तक फोर जे और बाकियों से उसके मधुर संबंध बन चुके थे, जिससे उन्हें रक्षक का ऐसा हाल देखकर अत्यधिक पीड़ा हो रही थी।
"रक्षक को क्या हुआ महारक्षक!" - जय घबराते हुए चीखकर लहू से पूछता है।
"वह अपने अत्यधिक क्रोध का भार नही सम्भाल पाया, वह इतना अधिक भावुक है कि भावनाओ में बह जाता है, इसलिए मैं चाहता था कि उसके तैयार हो जाने के बाद उससे मिलूं, पर ऐसा हो नही पाया।" लहू बोला। " लेकिन चिंता न करो, धरती पर जो एक अंश बाकी है उसे याद दिलाओ वो कौन है तो तुम्हे तुम्हारा रक्षक शीघ्र मिल जाएगा।"
"आपके साथ क्या हुआ था महारक्षक!" - अर्थ पास आते हुए बोला।
"बहुत लंबी कहानी है, उजाले और अंधेरे के सृजन के समय से ही शुरू होती है, वापस चलो आराम से सुनना।" - लहू बोलकर उड़ते हुए वहां से चला जाता है।
बाकी सब रक्षक के लिए शोक कर रहे थे पर उन्हें खुशी भी थी कि उनका रक्षक फिर आएगा वह सही सलामत है।
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"उम्मम बड़ी लम्बी कहानी थी!" - ऊंघते हुए राज बोला।
"ये सच है राज! तुम्हारे बारे में जैक ने जो लिखा वह एक-एक शब्द पूर्णतया सत्य है।" - जय बोला।
"क्या जय सर! हाँ मैं जानता हूँ कि मैं आपका फेवरेट स्टूडेंट हूँ इसका मतलब ये नही कि आप लोग कोई कहानी बनाओ।" - राज बोला।
"तो क्या हमने तुम्हारे अतीत के बारे में जो बताया तुम्हे उसपर विश्वास नही है।" - जैक बोले।
"जैक सर आप भी न! जीवन सर आप तो समझाईये न इन्हें, रीमा की सुनी सुनाई बातों पर यक़ीन कर लेते हैं, दो ही साल से तो जानते हैं हम एक दूसरे को।" - राज, जीवन सर से बोला।
"यार जॉर्ज! तुम कुछ बोलो, मैं इस भलेमानस को नही समझा सकता।" - जीवन बोला।
"सर सच ये है कि मैं कभी पूर्वी पहाड़ी पर गया ही नही था, बाकी सब कुछ सच है मेरे बारे में।" - राज बोला।
"हमे पता है तुम्हे फिलहाल कुछ याद नही, अगली बार हम फिर समझाएंगे शायद तुम समझ पाओ।" - जय सर बोले।
तभी राज के फ़ोन की रिंग बजी, स्क्रीन पर रीमा नाम फ्लैश हो रहा था।
"सर एक मिनट!" - कहकर राज वहां से बाहर चला गया।
"ये इस रूप में भी बहुत प्यारा हैं न, हम किस्मत वाले हैं जो अब भी मिलने का अवसर मिलता है।" - जैक सर बाकियों से बोले।
"हाँ! अब हमें भी जाना है, बहुत से अधूरे काम पूरे करने है, पर रक्षक से मिलने की लालसा में हम पृथ्वी पर आ ही जाते हैं।" - कहते हुए वे कमरे से बाहर निकले, बाहर उनका प्राइवेट प्लेन था। कमरे के एक डिजिटल कैलेंडर था जिसपर डेट थी "1 अप्रैल 2022"
बाहर राज रीमा से बात कर रहा था।
"हाँ राधा! क्या हुआ क्यों बार-बार बीच मे बाधा डालती हो।"
"मिस्टर कान्हा! अगर काना नही होना चाहते हो तो जल्दी से होटल विक्टोरिया पहुंचो। सुबह हमें टूर पे जाना है।" - उधर से फोन पर रीमा का मधुर स्वर उभरा।
"हाँ, ओह्ह एक मिनट अंकल जी का कॉल…!" - कहते हुए राज रीमा का कॉल कट कर देता है।
"देख रहे हो इनको, कितना प्यारा जोड़ा है।" - जैक बोला।
"हाँ जैसे रब ने बना दी जोड़ी।" - प्लेन से स्वर उभरा।
"चलो यूनिक! हमे चलना है।" - जय बोला, इतना कहते ही वह यान हवा में आकाश की ओर उड़ चला, बादलों के पार जाने तक यूनिक एक अंतरिक्ष यान के रूप में परिवर्तित हो चुका था।
समाप्त!
Fauzi kashaf
02-Dec-2021 11:18 AM
Wah
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Zaifi khan
01-Dec-2021 09:27 AM
بہت خوب
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Niraj Pandey
08-Oct-2021 04:12 PM
वाह बहुत ही शानदार 👌👌
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मनोज कुमार "MJ"
11-Oct-2021 07:00 AM
Thanks
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