Usha sharma

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लेखनी कहानी -17-May-2023

#प्रतियोगिता

दिनांक 17/05/2023 

शीर्षक : पुरूष तुम न समझोगे... 

जहाँ तक कि हम स्त्रियों ने 
अपने कई पूर्व जन्म, वर्तमान
और 
सभी आने वाले जन्म भी
लगा दिए हैं
निःसंदेह  सभी को समर्पित कर....
वहाँ एक पुरुष तुम हो
जो कभी भी नहीं रहे उत्साही 
कभी स्त्री के अस्तित्व को समझने 
एक देह मात्र से अधिक.
और
जब भी तुमने रची कितनी ही रंगीन तस्वीरें 
उनके दैहिक सौंदर्य को 
करने परिभाषित ... 
उन्हें कमतर कमतर समझने की जिद में 
अब तक नहीं समझें 
तुम स्वयं उसकी संपूर्णता को 
और
ना ही पहुंच बना सके उसके 
मनोमस्तिष्क की सुंदरता तक 
ताकि उनकी तस्वीरों में पूर्ण रूप से 
उभार सको उसके मनोभावों को .... 
नहीं दे पाए तुम जीवन के सभी रंग
किसी भी तरह की रंगीन तस्वीरों में 
उसे भी एक भी क्षण में....!

©®उषा शर्मा 
जामनगर (गुजरात) 

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3 Comments

खूब लिखा आपने 👌👌

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Abhinav ji

18-May-2023 09:06 AM

Very nice 👍

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Zakirhusain Abbas Chougule

18-May-2023 12:05 AM

Nice

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