सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी" मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
विषय:- 🌹 स्वैच्छिक 🌹
शीर्षक -- 👁️ नज़र अपनी अपनी 👁️
दिनांक -- १९.०५.२०२३
दिन -- शुक्रवार
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सभी के अलग-अलग ढंग, अलग-अलग चाल है,
नज़र अपनी-अपनी है, अपना-अपना ख्याल है।
कोई यथार्थ पर यकीं करता है तो कोई सपने पर,
कोई दूसरे पर यकीं करता है तो कोई अपने पर।
कोई किसी से जुदा नहीं सबका यही बस हाल है,
नज़र अपनी-अपनी है, अपना-अपना ख्याल है।
कोई कर्म पर यकीं करता है तो कोई किस्मत पर,
कोई मुफ्त पर यकीं करता है तो कोई मेहनत पर।
अपने आप में व्यस्त हैं,कोई करता नहीं सवाल है,
नज़र अपनी-अपनी है, अपना-अपना ख्याल है।
कोई राम पर यकीं करता है तो कोई रहमान पर,
कोई नियति पर यकीं करता है तो कोई ईमान पर।
सभी का अपना मियाद है सबका अपना काल है,
नज़र अपनी-अपनी है, अपना-अपना ख्याल है।
कोई वास्तविकता में यकीं करता है कोई चित्रों पर,
कोई शत्रुओं पर यकीं करता है, तो कोई मित्रों पर।
मधुकर मांगता खैरियत, दोस्त अपना बेमिसाल है,
नज़र अपनी अपनी है, अपना अपना ख्याल है।
सभी के अलग-अलग ढंग, अलग-अलग चाल है,
नज़र अपनी-अपनी है, अपना-अपना ख्याल है।
🙏🌷 मधुकर 🌷🙏
(अनिल प्रसाद सिन्हा 'मधुकर', जमशेदपुर, झारखण्ड)
(स्वरचित मौलिक रचना, सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)
Punam verma
20-May-2023 09:22 PM
Very nice
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shahil khan
20-May-2023 09:56 AM
Nice
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Abhinav ji
20-May-2023 08:44 AM
Very nice 👍
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