Arpit urmaliya

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कमी

तेरे आशिक के दिल में राज बोहत है,

कुछ जुर्म है पर दाग बोहत है ।

कल बेगैरत फिरता था जो आगे पीछे,
काटो की पैरो में पैजब बोहत है ।

कल तक थे हाथ में पैसे तो महफीले थी,
अब न पैसे है ना यार फकत है ।

गम कल था की वो है पर प्यार नही,
अब तो हमको उनकी याद बोहत है ।

तूफानों से लड़ने वाला कल तक,
हवाओ की चोट से शांत बोहत है ।

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4 Comments

Punam verma

22-May-2023 08:59 AM

Very nice

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Abhinav ji

22-May-2023 08:25 AM

Very nice 👍

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