धारण योग्य जो धर्म वही है -22-May-2023
कविता -धारण योग्य जो,धर्म वही है
सत्य मार्ग पर
आगे बढ़कर
मानवता के
पथ पर चलकर
शान्ति और सहयोग
बनाकर
जाति पाति का
रोग मिटाकर
छूआ छूत और
ऊंच नीच का
अंतर्मन से
भेद हटाकर
करने योग्य जो
कर्म सही है
धारण योग्य जो
धर्म वही है।
धर्म के पीछे
होता धंधा
कहीं अपहरण
कहीं पर दंगा
कुछ लोग तो
होकर अंधा
कहीं पर लड़ते
लेते पंगा
कहीं पर करते
काम भी गंदा
अंधविश्वास की
झांसा देकर
मन को करते
रहते चंगा
ये सब
करना सही
नही है,
धारण योग्य जो
धर्म वही है।
रचनाकार -
रामबृक्ष बहादुरपुरी
अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश
9721244478
Punam verma
23-May-2023 11:32 PM
Very nice
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sunanda
23-May-2023 01:37 PM
nice
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Abhinav ji
23-May-2023 12:51 AM
Very nice 👍
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