लेखनी प्रतियोगिता -24-May-2023
आँखे खोलो देखो जरा
लोग मर रहे हैं
उद्वेगों में फंसे हुए
क्या कर रहे हैं।
कहीं सीमाएं कहीं अधिकार
किसी से नफरत किसी से प्यार
भीड़ का हिस्सा हावी है
चला मचाने हाहाकार
विश्व बंधुत्व के चाहनेवाले
हालातों से डर रहे हैं
लोग मर रहे हैं।
कहीं पे युद्ध कहीं पे दंगा
कहीं पे प्रेरित कहीं बेढंगा
कहीं मजहबी कहीं आर्थिक
यहां पे हर कोई है नँगा
अपना घमंड चमकाने को
जंग कर रहे हैं
लोग मर रहे हैं।
विश्व तो है बंधुत्व नहीं है
कोई कहीं ममत्व नहीं है
थोड़े में संतुष्ट हो सके
अब ऐसा संतत्व नहीं है
विश्व बंधुत्व पालने वाले
मुश्किल से गुजर रहे हैं
लोग मर रहे हैं।
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Abhilasha Deshpande
25-May-2023 03:26 PM
very nice
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वानी
25-May-2023 11:36 AM
Nice
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Reena yadav
25-May-2023 10:46 AM
👍👍
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