**राधा-कृष्ण**
" राधा - कृष्ण "
गौ लोक से जाते वक़्त धरती लोक आते वक्त, एक वचन लिया अपने कृष्ण से नहीं खोलूंगी आंखे जब तक तुम्हे देख ना लूँ,
राधे एक झलक देखने तिहारी, गोकुल छोड़ बरसना आए थे नंदबिहारी, पूतना की सवारी कर, तुम्हारे आंगन पहली बार आए थे कुंज बिहारी ।।
जब इन्द्र देव ने बरसाया अपना कहर हुई वर्षा गोकुल में आठ पहर, फिर मुरलीधर ने भी अपनी बांसुरी का मधुर संगीत बजाया, जिसको सुना कर सारे बेचैन लोगो को, राहत का अहसास दिलाया, ले गए अपनी मधुर वाणी के साथ सबको गोवर्धन, फिर इस सांवरे माखनचोर ने ऐसा दृश्य दिखाया, अपनी छोटी सी उंगली पर, पूरे गोवर्धन पर्वत को उठाया, सबको फिर हौसला दे, उस नंद लाला ने पूरी गोकुल को उसके नीचे बुलाया, सबको अपनी वीरता से बचाया, तभी तो इस मनमोहक ने पालनहार नाम कमाया ।।
राधा कृष्ण की जोड़ी प्रेम का प्रतीक कहलाती थी एक धुन पर अपने कान्हा की वह दोड़ी चली आती थी, कृष्ण की बांसुरी की धुन ख़त्म होने से पहले उनके बंद नेत्रों के समक्ष प्रस्तुत हो जाती थी, राधा की यह अदा कन्हैया को बहुत भाती थी।। माखनचोर की नटखट अदाएं देखकर राधा मंद मंद मुस्काती थी, मिलने जाने से पहले, बिलोनी चला आपने हाथो से रात पहर भी माखन-मिश्री बनाती थी, वो भी अपनी राधा के लिए परिश्रम कर धान छांट, शकरकंदी का रस निकाल, गौ माता का दूध ले, वन में आकर अपनी राधे के लिए प्रेम के पात्र में खीर पकाते थे, अपना प्रेम, अपनी राधा से एक खीर का पात्र दे जताते थे।।
कान्हा ने गोपियों के संग रास रचाया, सोई हुई गोपियों को मुरलीधर ने, अपनी बांसुरी के मीठी धुन से उठाया आधी रात खुद वन में पहुंच, बंसी बजाकर कान्हा ने , गोपियों को वन में बुलाया उन संग प्रात: तक रास रचाया ऐसी थी नंदकिशोर की माया ।।
सारी गोपियों को राधा के आने तक एक ही धुन पर नचाया, गोपियों को रास पर बुलाकर , ब्रजमोहन ने रास के लिए ही सताया, राधा के आते ही महारास रचाया, अपने प्रेम के तेज से पूरे वन को सजाया ।।
राधा के आते ही महारास रचाया, महारास का आयोजन देख सभी देवी-देवता को बहुत आंनद आया, राधा-कृष्ण का यह अदभुत मिलन देख, सभी ने खुद को मोहित सा पाया, उनकी इस प्रेम-गाथा को सभी ने जन्म–जन्मांतर तक दिलों में बसाया।।
कातिल शायर {RM}✍️💫
RIXIT MIDHA IG - rixitmidha8
Punam verma
27-May-2023 10:30 AM
Very nice
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Abhinav ji
27-May-2023 09:20 AM
Very nice 👍
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