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स्वप्न और यथार्थ





स्वप्न और यथार्थ

प्रभु जी से नाता जोड़ो
सपने न देखोंं कल के
यथार्थ की डगर कठिन है
चलना संभल संभल के।
हालात जैसे भी अाये
हरदम तुम्हें है हंसना
कैसी भी दुःख की घड़ी आयेगी
इक दिन रहेगी टल के।
स्वप्न तो स्वप्न होता है
यथार्थ में बदलना होता है मुश्किल
विचारों का है सारा खेल यहां
सतगुरु जी ने बताया है ज्ञान हमें।
चिंतन से हमारी शक्ति बढ़ती है
चिंता से आयु घटती है
स्वप्न के चिंता में न पड़ना
दो दिन की मिली है जिंदगी।
जैसे जिसकी निगाह होती है
वैसे आते है सारे नजर
जैसे आदर करोगे किसी का
वैसी होगी तुम्हारी कदर
यही तो जीवन का यथार्थ है।
प्रभु जी से नाता जोड़ो
सपने न देखों कल के
यथार्थ की डगर कठिन है
चलना संभल संभल के।

नूतन लाल साहू

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4 Comments

बढ़िया अभिव्यक्ति

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madhura

17-Jul-2023 02:36 PM

Nice

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sunanda

03-Jun-2023 02:00 PM

nice

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