Add To collaction

स्थिर कुछ भी नही रहता है जग में





स्थिर कुछ भी नही रहता है जग में

स्थिर नही रहता है सदा ही सुख के दिन
दुःख के दिन भी एक दिन टल जाता है
कठिनाइयों को हंसकर जो गले लगाता है
किस्मत एक दिन उसकी अवश्य  बदल जाता है।
वक्त की दौर को हम परख ही नही सके
समय अपना हिसाब कर ही लेता है
पर वक्त का दौर यूं ही गुजर जायेगा
जहां आज मैं हूं,वहां कल कोई और होगा
स्थिर कुछ भी नही रहता है जग में।
हम अपना समझतें समझतें किसी और को
अपने मन की चाहत में बसा लेते है
कोई मेरी बातों को समझता है
तो कोई समझना ही नही चाहता है।
रोज सुबह जो सूरज उगता है
शाम होते ही वो भी ढल जाता है
मौसम चाहे कोई भी हो
एक दिन जरूर बदल जाता है
स्थिर कुछ भी नही रहता है जग में।
हम पर दोस्ती का दिखावा जो करते थे
एक दूसरे के प्रति आदर भाव भी था
इतना ही नही सज्जनों
प्रेम की पवित्रता भी झलकती थी
जब दुःखो का पहाड़ टूटा हम पर
तब हमसें बात करने का
उनका अंदाज ही बदल गया
स्थिर कुछ भी नही रहता है जग में।

नूतन लाल साहू




   12
2 Comments

कमाल का लिखा

Reply

Haaya meer

26-May-2023 09:34 AM

Nice

Reply