घर
अपने घर से दूर आके किसी अनजान शहर में,
एक छोटे से चार by चार के कमरे में बैठ कर,
अपनी जवानी के one mole साल सिर्फ किताब के साथ बिता देना
ये सबके बस की बात नही है । (!)
जिसका कच्छा भी उसकी मां धो कर दिया करती थी,
आज वो खुद से बना कर खा रहा है,
बाजार में कौन सी चीज कितनी की है,
और कौन सी चीज कब खत्म होने वाली है,
उससे सब याद रहने लगा है । (!)
घर का लाडला कुछ पैसे बचाने को,
कई mile पैदल चल कर जाता है,
और लोगो को लगता है की सब कुछ,
यूं ही हासिल हो जाता है । (!)
कभी कुछ खाने का मन हुआ तो,
उसका ध्यान सबसे पहले,
जेब के चांद सिक्कों पर जाता है
रोज झेलता है सैकड़ों कठनाइयों को,
कोई पूछे कैसा है तो, मैं ठीक हु बताता है । (?)
कभी ऐसे कमरे में रहे है,
जो शुरू होते ही खतम हो जाता है,
ऐसी छोटी मोटी परेशानियां,
वो यूं ही झेल जाता है । (!)
आज की कहानी हमे ये सीख मिलती है,
की कभी किसी के desk पर previous years देखे न,
तो तैयारी और attempt पूछने से पहले,
उसका हाल पूछिएगा, उसे अच्छा लगेगा । (?)
ऋषभ दिव्येन्द्र
26-May-2023 12:23 PM
एकदम याथार्थ
Reply
Abhinav ji
26-May-2023 09:00 AM
Very nice 👍
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
26-May-2023 07:57 AM
बेहतरीन
Reply