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चक्रव्यूह




मंच नमन 🙏

*चक्रव्यूह*



चक्रव्यूह रचा दुश्मन की चाल...

अभिमन्यु आज नहीं धरा पर..

ना कोई अर्जुन यहां जो सामर्थ्य.. 

 मनुज  आज परेशान कैसा चक्रव्यूह ..

समझ ना पाए बाजारीकरण का दौर..

जमीनी हकीकत से दूर सभी भाग रहे..

समय परिवर्तन हर जगह  नजर ...

समझ नहीं पाया मनुज   तुम भोले..

भागम भागम  हर पल यहां  मानव..

चक्रव्यूह रच रहा  अंजान सभी ...

समय की मार सब पर भारी...

जीवन आंडबर दिखावा भरमार...

जीवन का उद्देश्य सभी ना समझे..

चक्रव्यूह को तोड़ना है आवश्यक..

आधुनिकतावाद में फंसे हम सब..

शुद्ध सात्विक आहार विहार तज..

मांसाहार,मदिरा पान अपनाया..

आज की युवा पीढ़ी नौजवान..

भटकन भरी राहों चलते  यह..

पैसा बहुत कमाया पैकेज बड़े -बड़े..

परिवार क्या महत्व यह नहीं जान..

जिंदगी मौज मस्ती ,सस्ती जिंदगी..

गहरी सोच समझ लक्ष्य से भटके..

अंजान चक्रव्यूह को तोड़ना जरूरी..

चक्रव्यूह से खतरा बढ़ रहा हर पल..

गहरी  सोच विचार मंथन जरूरत..

अंजान चक्रव्यूह तोड़ना  आसान नहीं..

अर्जुन बन  लक्ष्य भेदना  सीख...!!




आरती तिवारी सनत

दिल्ली





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1 Comments

बेहतरीन लिखा

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