लेखनी प्रतियोगिता -28-May-2023 गुलाबी लिपस्टिक
"सुनो"
बाथरूम से मीरा ने आवाज दी । हरीश उस समय कोई कहानी लिख रहा था । कहानी लिखने में वह इतना व्यस्त था कि उसे मीरा की आवाज सुनाई ही नहीं दी ।
"कभी कभी एक बार में भी सुन लिया करो । न जाने कौन सी दुनिया में रहते हो" ? इस बार मीरा ने तेज स्वर में तनिक आवेश में आकर कहा ।
पत्नी की तेज आवाज को पति गहरी नींद में भी सुन लेता है । एक यही तो आवाज है जो उसका हरदम पीछा करती है । जैसे ही हरीश ने मीरा की तीखी आवाज सुनी , उसके पैरों तले जमीन खिसक गई । प्रत्येक पति की हालत ऐसी ही होती है जब "श्रीमती जी" की तीखी आवाज सुनने को मिलती है । जिस प्रकार तीखे मसाले वाली सब्जी खाने पर एक बार "धंस" जरूर लगती है उसी तरह बीवी की तीखी आवाज सुनने पर पतिदेव को भी "दस्त" जरूर लग जाते हैं ।
हरीश तनिक घबराया , थोड़ा चकराया और फिर दौड़ा दौड़ा बाथरूम की ओर धाया । "क्या आज्ञा है देवी जी" ? विलंब से रिएक्शन देने पर ऐसी ही वाणी बोलनी पड़ती है । खिसियानी बिल्ली की तरह मिमियाना पड़ता है । तभी बचाव होने की गुंजाइश रहती है ।
हरीश की मिमियाती आवाज सुनकर मीरा बड़ी प्रसन्न हुई । पत्नी दो ही बार प्रसन्न होती है । एक बार जब पति रात्रिकालीन कार्यक्रम हेतु मिन्नतें करते हुए उसके समक्ष "दण्डवत प्रणाम" करता है और दूसरी बार जब वह मिमियाता हुआ भीगी बिल्ली बनकर कूं कूं करता है । मीरा ने रौबदार आवाज में कहा
"कब से बुला रही हूं तुम्हें ? तुम हो कहां ? किसी नकचढी से फोन पर लारा लप्पा तो नहीं कर रहे थे ना" ?
"राम राम ! ये क्या बक रही हो तुम ? इतनी हिम्मत है क्या हम में ? हम तो आज की कहानी "गुलाबी लिपस्टिक" पर कोई कहानी लिख रहे थे । बोलो, क्या बात है" ? जैसे तैसे हरीश ने कहा ।
"वो मैं अपने कपड़े भूल आई हूं । प्लीज दे दो ना । वार्डरोब में रखे हैं" । घबराई हुई मीरा बोली ।
हरीश अपने काम पर लग गया । उसने वार्डरोब खोलकर देखा । आगे देखा, पीछे देखा । ऊपर देखा, नीचे देखा । कपड़े निकाल कर देखा । सब कुछ देखा , मगर जो कपड़े चाहिए थे वे उसे नहीं दिखे । वैसे , मर्दों की फितरत भी यही है कि जब वे अपने कपड़े नहीं ढूंढ सकते तो बीवी के कैसे ढूंढ सकते हैं ? घबराहट में उसकी जान हलक में आकर अटक गई थी । अब मीरा न जाने क्या करेगी ?
उसने एक बार फिर से वार्डरोब के अंदर झांककर देखा तो उसे अंदर एक सफेद सफेद सी चीज दिखाई दी । उसने राहत की सांस ली । "चलो, बच गए नहीं तो पता नहीं मीरा क्या करती" ?
हरीश ने लपक कर उस सफेद चीज को उठाया तो वह एक कागज निकला । उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा । "ये कागज इतनी सीक्रेट जगह क्यों रखा है ? क्या ये कोई लव लैटर है" ? हरीश के कान खड़े हो गये । उसने धड़कते दिल से वह कागज खोला तो यह मीरा का लिखा हुआ एक लव लैटर ही था जो उसने हरीश को लिखा था । उस पर लिखी तारीख देखी तो उसे याद आया कि उस समय तो वह ट्रेनिंग के लिए मसूरी गया हुआ था । उन दिनों मीरा घर पर ही रही थी । तब मोबाइल फोन भी नहीं थे । पत्र ही एकमात्र जरिया था संप्रेषण का । उसने पत्र के नीचे देखा तो उसमें मीरा के गुलाबी होंठ छपे हुए थे ।
उसे सारी घटना याद आ गई । ट्रेनिंग में आए हुए उसे बहुत दिन हो गए थे । मीरा की याद सताने लगी थी । फोन थे नहीं तो बात कैसे होती ? उसे देखे हुए, छुए हुए भी एक अर्सा हो गया था । तब उसने एक खत में लिखा कि "कितने दिन हो गये हैं तुम्हें देखे हुए मीरा ? तुम्हारे रेशमी बालों की छांव में सोए हुए एक अर्सा हो गया है जान । तुम्हारे नर्मो नाजुक लबों को चूमे हुए भी बहुत दिन हो चुके हैं । उन्हें फिर से चूमने को दिल कर रहा है । पर ऐसा कैसे हो सकता है ? हां, एक तरीका है । ऐसा करना कि पहले अपने गुलाब से अधरों पर गुलाबी लिपस्टिक लगाना फिर उन्हें अपने खत में छाप देना । मैं उन्हें छूकर ही तुम्हें महसूस कर लूंगा" ।
मीरा ने उसकी तड़प को समझ कर ऐसा ही किया । खत में नीचे गुलाबी होंठ लिपस्टिक लगा कर छाप दिये । यह वही खत था जिसे मीरा ने बाद में उससे छीन लिया था । हरीश ने तो सोचा था कि मीरा ने वह खत फाड़ दिया होगा , पर नहीं । वो तो उसने सबसे कीमती चीज की तरह छुपा कर रखा है ।
"अरे , कहां खो गये लेखक महोदय" ?
हरीश ने पीछे मुड़कर देखा तो वहां पर मीरा खड़ी थी । गीले कपड़ों में । "हाय, सचमुच रम्भा लग रही हो" कहकर हरीश ने उसे खरगोश की तरह वहीं दबोच लिया ।
मीरा "छोड़ो छोड़ो" करती रह गई । कोई शिकार किसी कुशल शिकारी से छूट पाया है क्या कभी ? मीरा शायद यह भूल गई थी ।
😄😄😄
श्री हरि
28.5.23
KALPANA SINHA
03-Jul-2023 01:34 PM
nice
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Babita patel
29-May-2023 02:42 PM
nice
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Hari Shanker Goyal "Hari"
29-May-2023 04:42 PM
🙏🙏
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madhura
28-May-2023 06:30 PM
very nice story
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Hari Shanker Goyal "Hari"
29-May-2023 10:24 AM
बहुत बहुत आभार आपका जी 💐💐🙏🙏
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