मां
मां
उम्र ले चली अंत की ओर
कहां खो गया वो आंचल
छुपता था जहां
क्या बयां करूं करूं
प्यार मिलता था अब वह कहां
जन्म दिवस आज मेरा
कहां गई वो लोरीया
वो प्यार जो साहस था मेरा
हो चला बूढ़ा
तलाश खत्म हुई कहां
जाने चला किस ओर
क्या-क्या कुर्बान किया माँ ने
मैं तो क्या भगवान भी नहीं जानता
मां ममता का इम्तिहान
अनसुलझी पहेली ये
सुलझी कहाँ
सुलाया सूखे में
खुद गीले में नींद खोती रही
दूध पिलाया सहलाया
नन्हे पांव से
छाती पर ठोकरें ही तो मारी
माँ माँ ही रही
मैं मैं न हो सका
चार बच्चों को पाला
चार बच्चों का कुनबा
मां को न पाल सका
बुढ़ापे में माँ कहां जाती
गम खोखला कर गए
कुछ करना सका
उम्र ले चली अंत की ओर
कहां खो गया वो आंचल
कहाँ खो गया वो आंचल
मौलिक रचना
उदयवीर भारद्वाज
भारद्वाज भवन
मंदिर मार्ग कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश 176001
मोबाइल नंबर 94181 87726
Varsha_Upadhyay
30-May-2023 11:35 PM
बहुत खूब
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Babita patel
30-May-2023 06:32 PM
very nice
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Abhinav ji
30-May-2023 08:35 AM
Very nice 👍
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