मैं अछूत हूं-29-May-2023
मैं अछूत हूं !
गरीब हूं तो
क्या हुआ !
इमानदारी से
कमाता हूं
दो रोटी ही सही
मेहनत की कमाई
खाता हूं।
मुझे
कष्ट नहीं है
न अफसोश है
कि मैं गरीब हूं,
दुख है ! कि
लोग मुझे
कहते हैं कि
मैं अछूत हूं!
एहसास करो
गरीबी खराब
नही होती,
खराब होती है
अमीर लोगों
की सोंच
जिनके लिए
इंसानियत
नही होती।
एक गगन तल
एक धरा पर
हवा एक ही
एक ही पानी
रक्त वही है
अस्थि वही
फिर क्यों?
गढ़ा गया
कहानी।
कभी
खाने के लिए
साथ बैठाया
नहीं जाता,
कभी कभी तो
खाने पर से
उठाया गया
भुलाया
नहीं जाता।
मेरी औकात
जूठे पत्तल
उठाने के लिए
गंदगी
साफ करने
के लिए
बताया जाता है,
और
कभी कभी तो
अपमानित करके
बहन बेटियों के
भय से
डराया जाता है।
मैं हमेशा
क्यों?
जन्मजात
छुआछूत हूं,
साहब मैं
अछूत हूं।
रचनाकार -
रामबृक्ष बहादुरपुरी
अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश
9721244478
Babita patel
30-May-2023 06:28 PM
nice
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Abhinav ji
30-May-2023 08:32 AM
Very nice 👍
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