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जीवन

भरपूर जिओ इस जीवन को,

ये ईश्वर का वरदान है।

जिसने धरती पर जन्म लिया,

उसका स्वामी भगवान है।


बाधाओं से शिकन न आए,

ये तो संगीन परखती हैं।

सूरज जलता है दिन भर जब,

पृथ्वी उजियारा भरती हैं।


हम आए हैं इस धरती पर,

जग में कुछ ऐसा कर जाएँ।

याद करे दुनिया हमको भी,

कण-कण चंदन सा महकाएँ।


कितनी भी गहराती रातें,

भोर किरण कब रुक पाती है।

कठिन रास्ते पर ही चलकर,

मंजिल नज़रों में आती है।


जीव जन्तु जल कीट पतंगे,

सब ही वसुधा पर रहते हैं।

मानव जीवन अलग अलौकिक,

धर्मार्थ पर "श्री" चलते हैं।


स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"

धौलपुर (राजस्थान) 

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5 Comments

क्या खूब लिखा

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Abhinav ji

31-May-2023 08:44 AM

Very nice 👍

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सुन्दर अभिव्यक्ति

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