बीवी
बीवी
बीवी तो बीवी है
नहीं इसका कोई सानी
गुजर गई उम्र सारी
कदर तेरी न जानी
न आती जीवन में
घर मकान बंगला रह जाता खाली
बीबी तो बीबी है
नहीं इसका कोई सानी
छोड़ मां-बाप सखियां सारी
बिखेर दिया जीवन में प्यार
जोड़ दिए रिश्ते सारे
सजा दिया मेरा घर संसार
बीवी को बीवी है
नहीं इसका कोई सानी
श्रद्धा भाव प्यार से
सेवा की बुजुर्गों की
जिम्मेदारी रस्म कर्म सब निभाती
दूर की कौड़ी है घर वार चलाना
कूबत नहीं मर्द घर बसा जाए
पेंट मिले तो कमीज खो जाए
बीवी तो बीवी है
नहीं इसका कोई सानी
खुशियों भरा संसार दिया
प्यारे प्यारे बच्चों से
अंगना मेरा महका दिया
मेहनत लगन प्यार से
घर सजा दिया
दिन आन पड़े मुश्किल
कंधे से कंधा मिला
साथ निभाया
सीख गया मैं रूठे को मनाना
टूटो को कैसे संजोए मुझे सिखाया
बीबी तो बीबी है
नहीं का कोई सानी
न कोई नादानी
बच्चों के लालन-पालन में
गिरने न दिया कभी
किसी की नजर में
करवा दी सब्र की सवारी
जीवन के खेल में
फलदार पेड़ हो पले सब
तेरी छत्रछाया में
बीवी तो बीवी है
नहीं इसका कोई सानी
गृहस्थ मंदिर से भूखा न गया कोई
सोती कब तू उठ जाती
अहसान न कभी तू जतलाती
पकड़ रखा
गृहस्थ जीवन की जड़ों को सावधानी से
खीझ पड़ता हूँ
कभी बच्चों पर कभी तुझ पर
भूलकर पल में सबकुछ
प्यार लुटाटी मुझपर
आती जब
जनरेशन गैप की मुसीबत भारी नाजुक रिश्तो की शीशे की दीवार को
बच लेती अल्फाजे पथरों से
महफूज है घर का प्यार
इसके के कौशल से
बीवी तो बीवी है
नहीं इसकाकोई सानी
मौलिक रचना
उदयवीर भारद्वाज
भारद्वाज भवन
मंदिर मार्ग कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश 176001
मोबाइल 94181 87726
Sushi saxena
04-Jun-2023 02:55 PM
Nice one
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Punam verma
03-Jun-2023 12:37 PM
Very nice
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सीताराम साहू 'निर्मल'
03-Jun-2023 07:51 AM
बेहतरीन
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