निरुपमा–34
जगदीश बाबू ने कहा, "यह इंगलिस्तान नहीं। जैसा देस, वैसा भेस। यहाँ तो इस तरह चमारों में ही रहा जा सकता है। भाई, हमें सोना है, हम तो जाते हैं।"
"कुमार बाबू को बुला ला।" मैनेजर ने रामचरण को आज्ञा दी।
कुमार बगल में था। बातें सुन चुका था पहले की और इस समय की। कहा कि बाकी किराए का बिल चुकाकर वह शाम को चला जाएगा, इस समय उसे मैनेजर साहब की बात सुनने की फुर्सत नहीं।
कुमार की आवाज मैनेजर साहब के पास तक पहुँची। नीली खुश होकर उठी। आवाज में खुश कर देने की वैसे ही लापरवाही थी।
भीतर से कमरे में न जाकर बाहर के बरामदे में टहलने लगी। बाहर से भी भीतर जाने का दरवाजा है। पर बिना परिचय के जाए कैसे?
मैनेजर से पूछताछ कर कोई सूरत निकालती; पर उसकी जगह न रही। 'मैनेजर कैसा आदमी है-इसे अक्ल नहीं-होटलवाले गधे हैं।'
नीली बरामदे में टहलती रही, कुमार के झरोखे के पास इच्छापूर्वक धीरे-धीरे,कि वह टोके, स्नेह करे, तब बातचीत हो।
उसे कुमार जैसा आदमी पसंद है। होटलवालों को मालूम नहीं-कैसे आदमी से प्यार और किससे घृणा करनी चाहिए। जब कुमार ने नीली को गिन-गिनकर पैर रखते देखा, तब समझ गया कि सामनेवाले घर की लड़की है।
वह उसके घर गया था, इसलिए उसे समझा देना चाहती है कि वह भी आई हुई है और उसके प्रति उसकी सहानुभूति है।
बँगला में कुमार ने आवाज दी, "क्यों?"
नीली खुश होकर आगे बढ़ गई! वहाँ से उसका मुँह न देख पड़ता था। उठकर कुमार ने दरवाजा खोला, देखा। देखकर, लजाकर नीली दूसरी तरफ देखने लगी। टोकने से लड़कियाँ अक्सर भाग जाती हैं। नीली भागी नहीं।
कुमार की इच्छा हुई, उसे बुलाकर बैठाए और उससे बातें करे। इधर दोपहर-भर धर्म और नीति की बहस सुनते-सुनते परेशान हो रहा था। कहा, "एक तस्वीर मेरे पास है। बहुत अच्छी है। आओ, तुम्हें दूँ।"
एक दफा सारी देह हिलाकर नीली ने 'नहीं-नहीं' की; फिर धीरे-धीरे कमरे में गई। कुमार बँगला बोला। वह साफ बँगला बोल सकता है।
यह एक नया आविष्कार नीली ने किया, और पहले उसके मन में जितना सामीप्य कुमार का था, अब और हो गया।
बड़े आदर से कुमार ने कुर्सी पर बैठने के लिए कहा, फिर अंग्रेजी मैगजीन से एक तस्वीर फाड़कर दी।
नीली तस्वीर देखती हुई खुश होकर कुमार से बोली, "आप तो हिंदुस्तानी हैं।" नीली की साफ हिंदी कुमार को बड़ी अच्छी लगी। पूछा, "और तुम?"
"बंगाली।" नीली गम्भीर हो गई! फिर तस्वीर देखने लगी। हम हिंदुस्तानियों से बड़े हैं, यह भाव इस जरा-सी लड़की में भी बद्धमूल है, कुमार ने सोचा, फिर हँसकर पूछा, "तुम कहाँ पैदा हुईं?"
अपना मकान दिखाकर नीली बोली, "वहाँ।"
"तो वह बँगला है?...तब तो तुम भी हिंदुस्तानी हो।"
नीली ने लजाकर सिर हिलाया।