निरुपमा–46
योगेश बाबू एक हिसाब देख रहे थे, निगाह उठाकर कहा, "बैठो, काम है, अभी कहता हूँ।" फिर हिसाब देखने लगे।
निरू चुपचाप बैठ गई। कुछ देर में योगेश बाबू निवृत्त हो गए। स्नेह की दृष्टि से नत निरू को देखते रहे।
फिर कहा, "माँ, अब तक तो तुम्हारे नौकर की तरह तुम्हारा काम करता रहा; पर अब वृद्ध हो गया हूँ।
कुछ आराम चाहता हूँ। तुम्हें समझा दूँ, तुम मालकिन की तरह अपनी आज्ञा धारण करो-आखिर अब बहुत दिन तो है नहीं।" योगेश बाबू निरू को देखकर मुस्कुराए।
इस स्नेह-स्वर में फर्क नहीं हो सकता, निरू ने निश्चय किया, लोग यों ही दूसरे को नीचा दिखाने के आदी हैं।
स्नेह से उमड़कर नम्र हँसकर मामा को सरल दृष्टि से-वही जो किशोरी की दृष्टि थी-देखकर, बोली, "आज्ञा कीजिए।"
वृद्ध फिर हँसे, "तुम्हें देखता हूँ तो रानी की याद आ जाती है।" रानी निरुपमा की माता का नाम था। "तुम्हें सुखी करके मैं स्वर्ग का भागी हूँगा, मुझे पूरा विश्वास है।"
निरू वैसी ही सरल दृष्टि से देखती रही।
"आज तक तुमसे नहीं कहा," वृद्ध गंभीर हो गए, "जरूरत भी नहीं थी।
अब है। क्योंकि संपत्ति-विषय में भी तुम्हें सँभाल देना है।" नली मुँह में लगाकर, धीरे-धीरे कई कश खींचे।
"यामिनी को रुपये की जरूरत है।"
निरुपमा कुछ सँभलकर जैसे अच्छी तरह विषय में प्रवेश करना चाहती है, भाव को और भी तेज दृष्टि से देखने लगी।
वृद्ध कहते गए, "कभी-कभी हाथ खाली हो जाता है। तुम्हारे पिता बीमार बड़े थे, तब पास कुछ न था।"
निरुपमा को भीतर से जैसे किसी ने हिला दिया। कमल की बात याद आई।
वृद्ध धीरे-धीरे सारी कथा कह गए। फिर रुपये लेने के संबंध में यामिनी बाबू की इच्छा प्रकट की, फिर हँसे, कहा, "तुम्हें यामिनी बाबू के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है।"
निरुपमा के मुख पर विकार न था। अपनी सांपत्तिक मर्यादा और ऋण की क्षुद्रता समझकर वह चंचल न हुई। केवल इस विषय में दूसरों की दूरदर्शिता उसे याद आती रही।
"माँ, तुम्हें समझा देना मेरा काम था, मेरे पास बहुत कुछ तो है नहीं। इसी पर मेरा बुढ़ापा और तुम्हारे भाई-बहनों का भविष्य निर्भर है। नहीं तो तुम्हारे पिता मेरे ऊपर थोड़े ही थे?"
"जी नहीं, मैं तो सोचती हूँ, दादा के लिए मैं इससे भी कुछ अच्छी व्यवस्था कर दूँ।"
"यह मैं जानता हूँ, तुम्हारा प्यार सभी को जता देता है; और तुम्हारा दादा तुम्हें फूफू की लड़की थोड़े ही समझता है?"
निरू मुस्कुराकर बोली, "रामपुर में बाबा ने डेरे की जगह रहने लायक एक घर बनवाया था।"
"हाँ; वह अब भी है।"