Rishabh tomar

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मेरे मन की बात- " बुरा " -03-Jun-2023

बुरा !  
        जी हाँ बुरा! 
हर बार का बुरा, बुरा नहीं होता है औऱ हर बार का अच्छा, अच्छा नहीं होता है। क्योकि कभी कभी बुरा ही बेहतर होता है और अच्छा ही बुरा। 
इसे हम वक्त से समझते है जैसे कभी बुरा वक्त कितना अच्छा होता है औऱ कभी वही बुरे की जगह अच्छा वक्त होना कितना बुरा।
नही समझे ... 
चलो कोई नहीं ... धैर्य रखो मैं बताता हूँ, बताता नही बल्कि कुछ पूछता हूँ फिर तुम बताना।

 अगर श्री राम को वनवास न होता तो अच्छा होता ? 
अगर हाँ तो माफ करना सबसे बुरा ये होता वो राम ही होते जैसे हमारे मोहल्ले के रामू है। 
स्त्री का अपहरण तो बहुत बुरा है न, कितना अच्छा होता अगर सीता का हरण न होता?
लेकिन फिर सीता माँ सीता न होती सिर्फ एक राजा की रानी होती।
मगर देखो न, कितना अच्छा हुआ,  बुरा होना राम को वनवास हुआ, कितना अच्छा हुआ बुरा होना सीता का हरण हुआ और बन गए यूँ राम मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम और सीता माँ सीता!
साथ ही पाप मुक्त हो गई धरा औऱ बना दिये एक बुरे होने ने श्री राम जी को भगवान श्री राम। 
अब बताओ बुरा हर बार बुरा होता है क्या? 
पता है क्या बोलोगें ? इसलिए अब मत कहना हर बार बुरा बुरा होता है क्योकि कभी कभी बुरे से अच्छा कुछ भी नहीं होता🥰 साथ ही एक बात और कभी मुश्किलें आये, बुरा वक्त आये तो समझना क्या बुरा होना सच में बुरा है। यूँ मत कहना बुरा हो रहा है। वैसे ये धैर्य धारण करने के लिये पर्याप्त है कि बुरा होना कभी कभी ईश्वर का तुम पर स्नेह भी होता है

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2 Comments

वानी

04-Jun-2023 11:47 AM

Nice

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Varsha_Upadhyay

04-Jun-2023 07:23 AM

👏👌

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