हिरनी–२

2 कुछ दिनों बाद धन-संग्रह के लिए चिदम्बर को मदरास जाना पड़ा।

शिक्षण-पोषण के लिए अनाथ-आश्रम में भर्ती कर देने के उद्देश्य से बालिका को भी साथ ले गया।

वहाँ जाने पर मालूम हुआ कि राजा रामनाथसिंह रामेश्वरजी के दर्शन कर कुछ दिनों से ठहरे हुए हैं, उसे मिल आने के लिए बुलावा भेजा था।

चिदम्बर के पिता जज के पद से पेंशन लेकर कुछ दिनों तक राजा साहब के यहाँ दीवान रह चुके थे;

उन दिनों चिदम्बर को पिता के पास युक्तप्रान्त में रहकर प्रयाग-विश्वविद्यालय में अध्ययन करना पड़ा था। अब उसके पिता नहीं हैं।

संवाद पा राजा साहब से मिलने के लिए चिदम्बर उनके वास-स्थल को गया।

बाढ़ की बातचीत में बालिका का प्रसंग भी आया। चिदम्बर उसे अनाथ आश्रम में परवरिश के लिए छोड़ रहा है,

यह सुनकर कारुण्य-वश राजा साहब ने ही उसे अपने साथ सिंहपुर ले जाने के लिए कहा। चिदम्बर इनकार करे, ऐसा कारण न था;

बालिका रानी साहिबा की देख-रेख में, उन्हीं के साथ, उनकी राजधानी गई।

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