भेड़िया

एक चरवाहा लड़का गाँव के जरा दूर पहाड़ी पर भेड़ें ले जाया करता था।

उसने मजाक करने और गाँववालों पर चड्ढी गाँठने की सोची। दौड़ता हुआ गाँव के अंदर आया और चिल्‍लाया, ''भेड़िया, भेड़िया! मेरी भेड़ों से भेड़िया लगा है।''

गाँव की जनता टूट पड़ी। भेड़िया खेदने के हथियार ले लिए। लेकिन उनके दौड़ने और व्‍यर्थ हाथ-पैर मारने की चुटकी लेता हुआ चरवाहा लड़का आँखों में मुसकराता रहा। समय-समय पर कई बार उसने यह हरकत की। लोग धोखा खाकर उतरे चेहरे से लौट आते थे।

एक रोज सही-सही उसकी भेड़ों में भेड़िया लगा और एक के बाद दूसरी भेड़ तोड़ने लगा। डरा हुआ चरवाहा गाँव आया और 'भेड़िया-भेड़िया' चिल्‍लाया। गाँव के लोगों ने कहा, ''अबकी बार चकमा नहीं चलने का। चिल्‍लाता रह।''

लड़के की चिल्‍लाहट की ओर उन लोगों ने ध्‍यान नहीं दिया। भेड़िये ने उसके दल की कुल भेड़ें मार डालीं, एक को भी जीता नहीं छोड़ा।

इस कहानी से यह नसीहत मिलती है कि जो झूठ बोलने का आदी है, उसके सच बोलने पर भी लोग कभी विश्‍वास नहीं करते।

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4 Comments

Babita patel

24-Aug-2023 06:20 AM

amazing

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madhura

17-Aug-2023 04:37 AM

nice

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kashish

05-Jun-2023 10:14 AM

nice

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