सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी" मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
विषय:- 🌹 यादों की सौगात 🌹
दिनांक -- ०५.०६.२०२३
दिन -- सोमवार
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मुझे तो अपना गुज़रा हुआ ज़माना याद आता है,
वो बचपन की यादें हसीन नज़राना याद आता है।
लाख कोशिशें कर लूँ पर उन्हें भूल नहीं पाता हूँ,
दोस्तों का वो हसीन मंज़र वो याराना याद आता है।
स्कूल के बाद बाज़ारों का सैर वो घुमना फिरना,
जोड़कर पैसे होटल में बैठकर खाना याद आता है।
जिन फिल्मों की चर्चाएँ होती थी सहपाठियों बीच,
पहले दिन फिल्मों का टिकट कटाना याद आता है।
छुट्टी के दिन घर से निकल रात को वापस आना,
पिताजी के द्वारा डंडे से मार खाना याद आता है।
पूजा में हम घुमने जाते रात को पंडाल में सो जाते,
वो धूमधाम से सरस्वती पूजा मनाना याद आता है।
चाहे आम या खास बातें, हो कोई भी हमारी उलझने,
कर विचार समस्याओं को सुलझाना याद आता है।
स्कूल के वार्षिक संगीत कार्यक्रमों में भाग लेना,
हमारा रियाज़ करना गीत गुनगुनाना याद आता है।
पेड़ों पर चढ़ना आम तोड़ना दीवारें फाँदकर आना,
बल्लेबाजी कर क्षेत्ररक्षण से कतराना याद आता है।
सारी उदंडता गौण होते, जब प्रगति पत्र मिलता,
वार्षिक परीक्षा में वर्ग में प्रथम आना याद आता है।
हे ईश्वर लौटा दे मुझे, यादों की हसीन सौगातों को,
उनमें मेरे बचपन का रंगीन अफ़साना याद आता है।
🙏🌹 मधुकर 🌹🙏
(अनिल प्रसाद सिन्हा 'मधुकर', जमशेदपुर, झारखण्ड)
(स्वरचित सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)
Punam verma
06-Jun-2023 09:41 AM
Very nice
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Abhinav ji
06-Jun-2023 09:04 AM
Very nice 👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
06-Jun-2023 07:45 AM
बहुत ही सुंदर और बेहतरीन रचना
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