लेखनी कविता-यादों की सौगात -05-Jun-2023
**सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी" मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
शीर्षक-: *यादों की सौगात*
दिनांक-: 05-06-2023
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कौन सा खोलूँ पन्ना ? मैं अपनी इस पुस्तक का।
मीठी यादों से जुड़ा है ,,,हर पन्ना मेरी दस्तक का।
नौ माहों तक गर्भ में सींचा ,रक्त मांस के टुकड़े को।
जन्म समय पर सहन किया है दर्द देखने मुखड़े को।
भूखी प्यासी जुटी काम पे कभी न अपना मुख देखा।
अपना सर्वस्व किया न्यौछावर जो बच्चें का दुख देखा।
गुरु बन ज्ञान रहीं मैं देती, अच्छे गुण उसमें भरती।
खुश होकर के सेवा करती, सुन्दर जीवन रंग भरती।
सुख के दिन आए तो माता हाथ छुड़ा कर चली गई।
रही देखती आसमान पर ,,,, निश्चित मैं तो छली गई।
यादों की सौगात,को दे मां जीवन जीना सिखा गई।
नयनों को अक्सर गीलापन दे दुख पीना सिखा गई।
कोई ऐसा पल न बीता जब मा तेरी याद नहीं आती।
काश ,तू मुझे मिल जाए,गोदी में सिर रख सो जाती।
*आभा मिश्रा- कोटा*
(स्वरचित मौलिक रचना, सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)
Shashank मणि Yadava 'सनम'
06-Jun-2023 07:52 AM
खूबसूरत और भावनात्मक अभिव्यक्ति
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सीताराम साहू 'निर्मल'
06-Jun-2023 06:56 AM
निर्मल भावों की प्रस्तुति। बधाई
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Reena yadav
05-Jun-2023 11:39 PM
👍👍
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