चतुराई
कौन-कौन मिलता है हमें इस जमाने में
योजना बनाकर आते आशियां मिटाने में।
जिस थाली में खाया उसी में छेद कर
अब मजा आता इनको आग को लगाने में।
इनके दिल मे भरी है नफरत की आग
अपने अहम में चिराग बुझा देते हैं बहाने में।
योजना बनाकर हमेशा जाल बुनते हैं
ये नए नए चेहरे बदल लेते हैं ठिकाने में ।
विश्वास का हरदम गला घोटते हैं ये
शर्म को अपनी बेच देते जहर को पिलाने में।
अपने ही अपने को देखो लूटे जा रहा है
इस ईर्ष्या का बीज कही पनप रहा उगाने में।
इनकी चालाक योजना कहर ढा रही है
देखो कैसे चतुराई मार रही तीर निशाने में।
Babita patel
06-Jun-2023 02:25 PM
very nice
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sunanda
06-Jun-2023 02:09 PM
nice
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Punam verma
06-Jun-2023 09:51 AM
Very nice
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