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मुक्तक

दिल जीतने की चाह में जीता चला गया...
अपमान के हर जहर को पीता चला गया...

सोचा यही था प्यार के बदले मिलेगा प्यार,
भारत उस दर से बेकदर रीता चला गया...

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2 Comments

वाह लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Bushra Maryam

12-Mar-2021 10:21 PM

Behetreen line sir 🙂

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