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पर्यावरण

पर्यावरण दिवस। 

मारो मुझे ना मेरे भाई  ,
मुझे मारते दया ना आई  ।
 पैदा हुए सभी हम इक दिन ,
एक पिता की सब संतान  ।
निजी स्वार्थों हित तुम देखो ,
मुझे मार बनते शैतान  ।
हमें बचाओ हमें बचाओ ,
देते आए यही दुहाई  ।
मारो मुझे न मेरे भाई।।

पेड़ हमारे जीवन दाता ,
इनसे ही मौसम है आता ।
 यही बादलों को तड़पाते 
जीवन हित वर्षा करवाते  ।
सबका जीवन सुखमय होता ,
 इन्हें काटने अस्त्र उठाई  ।
मारो मुझे ना मेरे भाई ।।

जीव जंतु भ्राता है सबके ,
 ईश्वर अंश तत्व हैं टपके  ।
पालन पोषण सबका करते ,
जल थल वायु उड़ाने भरते  ।
फिर क्यों हमको मार रहे हो ,
खुद मरने की नौबत आई  ।
मारो मुझे न मेरे भाई  ।

इनका संरक्षण धर्म हमारा ,
इनसे राखो भाईचारा ।
 एक दूसरे राखो ध्यान  ,
जो देते हैं निस दिन ज्ञान  ।
इनका पोषण करते रहना  ,
इसी में हम सब की भलाई ।
 मारो मुझे न मेरे भाई  ।

 स्वरचित 
डॉक्टर आर बी पटेल अनजान 
छतरपुर मध्य प्रदेश।

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6 Comments

Gunjan Kamal

08-Jun-2023 06:53 AM

👏👌

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अति सुन्दर

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सुन्दर रचना

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