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लेखनी प्रतियोगिता -07-Jun-2023 अपहरण



शीर्षक = अपहरण



भोर का समय था, हल्की हल्की बूँदा बाँदी हो रही थी, हाथ में कुछ समान थामे एक अधेड उम्र का शख्स तेज तेज कदमो से हाफ्ता हुआ एक और बड़ रहा था

एक घर के सामने जाकर वो रुक गया,  पुराना सा टूटा फूटा सा एक घर था, उसने झट पटाते हुए अपनी जेब से बाहर दरवाज़े पर लगे ताले की चाबी निकाली और उसे जल्दी जल्दी खोलने लगा उसके आव भाव बता रहे थे मानो वो किसी वारदात को अंजाम देकर आ रहा है या फिर देने जा रहा है

उसका मूंह ढका हुआ था, उसने झट से दरवाज़ा खोला और घर के अंदर पहुंच कर एक राहत की सास ली और फिर उसे कुछ याद आया और वो दौड़ता हुआ अंदर कमरे की और भागा, कमरे में पहुंच कर उसने दाये देखा फिर बाये उसकी निगाहेँ किसी को तलाश कर रही थी

उसकी निगाहेँ एक जगह टहर सी गयी, उसने देखा जिसे वो तलाश कर रहा था, वो डरा छिपा एक कोने में बैठा था और शायद ठण्ड से कांप रहा था

उसे देख उस शख्स ने राहत की सास ली और फिर उसके नजदीक जाने लगा, वो उसके पास जाता तब ही वो दस बारह साल का लड़का उसकी तरफ देखते हुए बोला " क,,, क,,, कौन हो तुम,,, मुझे यहाँ क्यूँ रखा है? मेरे मम्मी पापा मुझे ढूंढ रहे होंगे "

उसके सवाल का जवाब देने के बजाये, उस शख्स ने उसकी तरफ ब्रेड बढ़ाते हुए कहा " ये ले, कुछ खा ले,,, दो दिन से बेहोश था भूख लग रही होगी "

"नही खाना मुझे,, मुझे अपने घर जाना है,, तुम कौन हो और मुझे यहाँ क्यूँ लाये हो,,, मुजसे क्या चाहते हो " उस लड़के ने कहा

"ये ले खाना खा,,, वरना ये भी नही मिलेगा " उस आदमी ने दोबारा ब्रेड उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा

"नही खाऊंगा,,, मैं नही खाऊंगा,,, मुझे घर जाना है,,, मुझे यहाँ क्यूँ लाये हो? " उस बच्चें ने दोबारा कहा

इस बार उस आदमी ने कुछ नही कहा, बस उसके आगे ब्रेड रख दी ताकि वो कुछ खा ले, लेकिन इस बार उस बच्चें ने गुस्से से उस ब्रेड को हाथ मार कर दूर फेंक दिया

उसे ऐसा करता देख उस आदमी को बहुत गुस्सा आया और उसने खींच कर उसे थप्पड़ मारा और गुस्से से कहा " नही खाना है तो मत खा, भूखा मर,,, तुम लोग इसके लायक भी नही हो वो तो बस तुझ पर तरस आ गया था इसलिए तेरे लिए खाने को लाया था,, अब तू भूखा मर "


"तो फिर मुझे मेरे घर छोड़ आओ,, मेरा अपहरण क्यूँ किया है? मेरी मम्मी मेरे पापा दोनों परेशान हो रहे होंगे,,, आखिर क्यूँ तुमने मुझे कैद किया है,,? तुम्हे पैसे चाहिए, मांग लो मेरे पापा से उनके पास बहुत पैसा है वो तुम्हे दे देंगे,,,, लेकिन मुझे जाने दो,,, जाने दो मुझे " उस बच्चें ने बहादुरी से उसका सामना करते हुए कहा


"तेरी इतनी हिम्मत,,, मेरे सामने जुबान लड़ाता है, अपने बाप की दौलत की अकड़ दिखाता है,, क्या दे सकता है तेरा बाप तेरे बदले?" उस आदमी ने कहा गुस्से से


"जो तुम चाहोगे वो दे देंगे मेरे पापा, पैसों के लिए ही तुमने मेरा अपहरण किया है न,, तो मांगते क्यूँ नही हो पैसे? मैंने देखा है पिक्चर में आप जैसे गंदे अंकल पैसों के लिए छोटे बच्चों का अपहरण कर लेते है और फिर उनके घर वालों से पैसे मांगते है अगर वो पुलिस अंकल को बता देते है तब आप लोग उन बच्चों को मार देते है,,, लेकिन मेरे पापा ऐसा नही करेंगे वो मुझसे बहुत प्यार करते है, आप जितने पैसे कहोगे वो दे देंगे और पुलिस अंकल को भी नही बताएँगे " उस बच्चें ने कहा


"अच्छा,, ऐसा है,,, मैं जो मांगूंगा तेरा बाप तेरे बदले मुझे वो दे देगा,,, ऐसा है तो ले ये फ़ोन और मिला अपने बाप का नंबर मैं भी तो देखू तेरा बाप मेरी मांग पूरी करता है या नही,,, दो दिन के अपने बेटे के वियोग में वो क्या मुझे देता है " उस आदमी ने अपना मोबाइल निकालते हुए कहा अपनी जेब से


"ले पकड़ मिला अपने बाप को फोन,, नंबर याद है या मैं दू " उस आदमी ने मोबाइल उस बच्चें की तरफ देते हुए कहा


उसे इस तरह अपना मोबाइल देते देख वो बच्चा उसकी तरफ असमंजस से देख रहा था, उसने काँपते हाथो से उसका मोबाइल लिया और बोला " क्या तुम सच में मेरी बात मेरे पापा से कराओगे? "


"हाँ,,, और किया,,, क्या मैं इतनी देर से खेल खेल रहा हूँ,, अब मिला भी और लगा अपनी कीमत,,, देखते है तेरा बाप तेरी कितनी कीमत लगाता है,,, और जो मैं मांगूंगा वो देगा की नही " उस आदमी ने कहा उसकी तरफ देखते हुए

वो बच्चा अपने काँपते हाथो में मोबाइल थामे, कांपती उंगलियों से अपने बाप का नंबर मिलाता है,,,


ट्रिंग,,,, ट्रिंग,,,,, ट्रिंग,,,,

"क्या हुआ? अभी तक उठाया नही तेरे बाप ने तेरा फ़ोन,, भूल तो नही गया तुझे दो दिन में " उस आदमी ने बच्चें की तरफ देखते हुए कहा

"घ,, घ,,, घंटी जा रही है,,, प्लीज् पापा फ़ोन उठाइये,,, प्लीज् मैं फ़ोन कर रहा हूँ आपका बेटा अंकुर,, प्लीज् पापा " उस बच्चें ने कहा फ़ोन पर ही

थोड़ी देर बाद,, दूसरी तरफ से फोन का जवाब आता है


"हैल्लो "

"प,, प,,, पापा,,, थैंक गॉड आपने फ़ोन उठाया,,, पापा मुझे बचा लीजिये वरना ये गंदे अंकल मुझे मार देंगे जैसा की फिल्मों में किडनैपर बच्चों को मार देते है, उनके पेरेंट्स द्वारा उनकी मांग पूरी न करने पर,, पापा मैं मरना नही चाहता " अंकुर ने एक ही सास में सारी बात कह दी



"अ,,, अ,,,,, अंकुर,,, मेरे बेटे,, कहा हो तुम? इस समय कहा से बात कर रहे हो,,, तुम्हारे पापा है न तुम्हे बचा लेंगे,,, अभी पुलिस अंकल के साथ आकर तुम्हे बचा लेंगे,,, तुम बताओ तुम कहा हो " अंकुर के पिता ने कहा अपने बेटे की आवाज़ सुन कर


"नही पापा,,, पुलिस अंकल को मत लाना,, वरना ये मुझे मार देंगे,,, " अंकुर ने कहा


"कौन मार देंगे बेटा? बेटा तुम कहा हो? क्या तुम अभी भी वही किडनैपर के पास हो?" अंकुर के पिता ने कहा

"पापा, ये जो मांगे इन्हे दे दीजिये,, प्लीज् पुलिस अंकल को मत लाना वरना ये मुझे मार देंगे " अंकुर ने कहा रोते हुए


"रो नही मेरे बेटे,, देखो तुम्हारी मम्मा भी यही है,, हम तुम्हे सुन रहे है,, तुम अभी कहा हो हमें बताओ,, हम तुम्हे लेने आते है,, हम लोगो का बहुत बुरा हाल है पिछले दो दिन से ज़ब से तुम्हारा अपहरण हुआ है,, बेटा तुम घबराओं नही,,क्या जिसने तुम्हारा अपहरण किया है तुम्हारे नजदीक है " अंकुर के पिता ने कहा


अंकुर इस सवाल का कुछ जवाब देता उससे पहले ही, उस आदमी ने अंकुर के हाथ से मोबाइल छीन लिया,,, अंकुर और उस आदमी के बीच हो रही छीना झपटी की भनक अंकुर के घर वालों को चल रही थी और वो घबराते हुए बोले " बेटा,,, बेटा,,, अंकुर तुम ठीक तो हो,,, बताओ क्या हो रहा है वहां? "


तब ही एक भारी मर्दाना आवाज़ उनके कानो में पड़ी " अभी तक सही सलामत है, तेरा बेटा "

"कौन हो तुम? और मेरे बेटे का अपहरण क्यूँ किया है तुमने? तुम्हे क्या चाहिए?" अंकुर के पिता ने कहा


"मेरे बेटे को छोड़ दो, भगवान के लिए मेरे बेटे को छोड़ दो मुझ पर तरस खाओ एक माँ पर तरस खाओ,, तुम्हे जो चाहिए ले लो,, लेकिन मेरे बेटे को छोड़ दो उसे कुछ हो गया तो मैं जीते जी मर जाउंगी " पीछे से ही अंकुर की माँ बोल पड़ी


"तुम्हारे बेटे को भी बड़ा अभिमान है तुम दोनों पर, कह रहा था जो मांगूंगा वो दे दोगे, तो क्या सच में दे दोगे " उस आदमी ने कहा


"हाँ,, क्या चाहिए तुम्हे बताओ,, गाड़ी बंगला,, घर,, पैसे सोना,, चांदी,, बताओ क्या चाहिए,,, सब तुम पर न्योछावर कर दूंगा, मैं वायदा करता हूँ तुम्हे पुलिस से भी बचा लूँगा,,, बस तुम मांगो " अंकुर के पिता ने कहा दर्द भरी आवाज़ में


"वाह,,, वाह,, बेटे की दो दिन की जुदाई में तू अपना सब कुछ लुटाने चला है " उस आदमी ने कहा


"हाँ,, सब कुछ ले जाओ,, बस मुझे मेरा बेटा दे जाओ सही सलामत ये एक माँ की गुहार है तुम्हारे सामने,,," अंकुर की माँ ने कहा रोते हुए

वो आदमी थोड़ी देर खामोश सा हो गया उसने अंकुर की तरफ देखा, अंकुर उसकी तरफ देखते हुए बोला " मांगो,, मांगते क्यूँ नही? अब खामोश क्यूँ बैठे हो? मैंने कहा था न तुम्हे जो चाहिए वो मेरे मम्मा पापा तुम्हे दे देंगे "


"अंकुर बेटा, क्या तुम वही हो? बेटा तुम ठीक तो हो " अंकुर की माँ ने पूछा उसकी आवाज़ सुन कर


"जी मम्मा, मैं ठीक हूँ,, आप परेशान न हो " अंकुर ने जवाब दिया

"बताओ तुम्हे क्या चाहिए? मेरे बेटे के बदले,, बोलते क्यूँ नही मैं अभी तुम्हे दे दूंगा लेकिन मेरा बेटा मुझे लोटा दो ?" अंकुर के पिता ने कहा रोते हुए


अब वो आदमी जो अब तक थोड़ा खामोश था, अंकुर के पिता के इतना इसरार करने पर जोर से बोला " मेरा बंटी लोटा दो,,, लोटा दो मेरा बंटी "

"ब,,, ब,,, बंटी,,, ये कौन है? हम इस नाम के लड़के को नही जानते " अंकुर के पापा ने कहा

"कैसे जानोगे? तुमने उसे देखा थोड़ी था, देखा होता तो शायद आज मेरा बंटी मेरा बेटा मेरे पास होता,,, बंटी मेरा बेटा था,, बेटे के बदले बेटा लोटा दो,,, मुझे मेरा बंटी दे दो अपनी दौलत अपने पास रखो,, मुझे मेरा बेटा लोटा दो " उस आदमी ने कहा


"मैं नही जानता कि तुम किसकी बात कर रहे हो, भला हमारा तुम्हारे बेटे से क्या वास्ता,, अगर उसे किसी ने अगवाह किया है तो मैं तुमसे वायदा करता हूँ, तुम्हारे बेटे को ढूंढ कर तुम्हारे पास लाऊंगा, उसके अपहरण करता जितने पैसे मांगेंगे मैं दूंगा बस मेरा बेटा मुझे लोटा दो " अंकुर के पिता ने कहा


"हाँ,, एक माँ तुमसे वायदा करती है, तुम्हारा बेटा जहाँ भी होगा मैं उसे ढूंढ कर तुम्हारे पास लेकर आउंगी, लेकिन भगवान के लिए मेरा बेटा मुझे लोटा दो " अंकुर की माँ ने कहा

"न तो तुम और न तुम्हारा ये पति मेरे बेटे को ढूंढ कर ला सकता है, क्यूंकि ढूंढ कर उसे लाया जाता है जो जीवित होता है, जो मर जाता है वो कभी वापस नही आता है, बस उसकी याद रह जाती है जिनके सहारे यातो जिंदगी कट जाती है नही तो मौत से भी बदतर हो जाती है," उस आदमी ने कहा


"क,,, क,,, क्या मौत? क्या तुम्हारा बेटा इस दुनिया में नही रहा, किसने मारा उसे,, बताओ मुझे,, मैं उसे सजा दिलाऊँगी,, उसे जैल की सलाखों के पीछे डलवा कर ही दम लूंगी बताओ मुझे,, आखिर किसने मारा तुम्हारे बेटे को, कौन है कातिल तुम्हारे बेटे का,,," अंकुर की माँ ने कहा


"कातिल कोई और नही, तुम्हारे पास खड़ा तुम्हारा पति है, बताओ क्या दिलाओगी इसे सजा,,,, क्या अपने पति को जैल भिजवा पाओगी मेरे बेटे के क़त्ल के इल्जाम मैं " उस आदमी ने कहा


ये सुन कर तो मानो अंकुर की माँ और उसके पिता के पैरों तले जमीन निकल गयी हो, उसकी माँ हकलाते हुए बोली " क,,, क,,, क,,, कातिल वो भी ये,,, नही तुम्हे जरूर कोई गलत फेहमी हुयी है,,, मेरे पति तो एक डॉक्टर है ये तो लोगो की जान बचाते है भला ये कैसे कातिल हो सकते है "


"मेरे बेटे की जान क्यूँ नही बचायी, अगर ये डॉक्टर है तो? उसका क़त्ल कैसे किया इसने " उस आदमी ने कहा


"कौन हो तुम? बताओ मुझे,, आखिर क्यूँ मुझे अपने बेटे के कत्ल के इल्जाम में फसा रहे हो? " अंकुर के पिता ने कहा


"आप भूल सकते हो,, जो कुछ आपने किया था उस रात लेकिन मैं नही भूला उस रात के बाद से तो मेरी जिंदगी ही तबाह हो गयी थी भला मैं कैसे उस रात को भूल सकता हूँ


याद करो डॉक्टर आहूजा, 10 महीने पहले की वो रात ज़ब तुम्हारे अस्पताल से तुम्हारे पास फोन गया था और तुमने क्या कहा था, यही न कि मरने दो इन गरीब लाचारों को यूं ही पैसे होते नही इलाज कराने आ जाते है


उस समय मेरी गोदी में मेरा दस साला बंटी ठण्ड से कांप रहा था, हफ्तों से सरकारी अस्पताल के चककर लगा रहा था वहाँ उसका अच्छे से इलाज नही हो पा रहा था,प्राइवेट में दिखाने के लिए मेरे पास इतने पैसे नही थे,, जो भी मजदूरी करके कमा कर लाता सब दवा और राशन पानी में खत्म हो जाते

उस रात भी काम पर से लोटा तो देखा पत्नी घबराई हालात मेंमेरी राह देख रही थी, मुझे देख मेरे बारे में न पूछ कर बंटी की हालात के बारे में बताया अंदर जाकर देखा तो उसे कप कपी लगी हुयी थी उसका बदन ऐंठ रहा था, ठण्ड उसे जकड़ रही थी चादर में लपेट कर सरकारी अस्पताल लेकर दौड़ा, वहां जाकर देखा तो कोई डॉक्टर ही नही बैठा था पूछने पर पता चला की सब चले गए अब कल आएंगे


इसलिए तुम्हारे अस्पताल पंहुचा वहां पता चला की तुम भी उठ गए हो, लेकिन एक उम्मीद जागी थी ज़ब नर्स ने बताया की तुम इमरजेंसी देखने आ जाते हो, लेकिन वो उम्मीद भी टूट गयी ज़ब तुमने फोन पर ही अपनी लम्बी छोड़ी फीस बता दी थी, मेरे गिड़गिड़ाने मन्नते करने पर भी तुम्हारा जवाब नही बदला और तुमने ये कह कर फोन रख दिया मरने दो इन जैसे जने कितने आते है, अपने दुख और परेशानियां लेकर हर किसी को देखता रहा तो कर ली कमाई मैंने

उसके बाद सारी उम्मीद टूट गयी थी क्यूंकि उसके कुछ देर बाद ही मेरे बेटे बंटी ने मेरे ही हाथो में दम तोड़ दिया था, उस बेटे ने जिसे भगवान से बड़ी मन्नतो के बाद माँगा था क्यूंकि कई सालो बाद हमने अपनी औलाद का मूंह देखा था, हमारा सुखी परिवार था मेरा बेटा आज जिन्दा होता अगर तुम उस दिन आकर देख जाते

तुमसे दो दिन की जुदाई बर्दाश्त नही हुयी अपने बेटे की और मुझे और उसकी माँ को जिंदगी भर उसकी जुदाई उसकी मौत का गम उठाना है

तुम अपनी दौलत अपने पास रखो, मुझे कुछ नही चाहिए अगर मेरा बेटा लोटा सकते हो तो लोटा दो,

क्यूँ क्या अब अपने पति को सजा दिलाओगी? क्या उसके इस जुर्म को छिपाओगी क्या उसे अभी भी रक्षक ही कहोगी जो दूसरों की जान बचाता है, लेकिन मेरे बेटे को मार दिया चंद पैसों के खातिर,,, क्या हो जाता अगर मेरे बेटे को आकर देख जाता,, तो आज मेरा बंटी जिन्दा होता हमें बूढ़े माँ बाप का सहारा बनता,,, लेकिन नही तुम्हारे पति ने उसे मार दिया,,, मार दिया तुम्हारे पति ने, उस आदमी ने गुस्से में कहा और फिर पास रखा बर्तन फेंक दिया


उसकी आवाज़ से अंकुर के माता पिता घबरा गए और चीख कर बोले " अंकुर बेटा, तुम ठीक तो हो "

घबराओं नही,,, तुम्हारे बेटे को तुमसे दूर नही करूँगा औलाद के दूर जाने के गम को मुझसे बेहतर कौन जान सकेगा,,, ले जाना अपने बेटे को मैं तो बस तुम्हे एहसास दिलाना चाहता था औलाद गरीब की हो या अमीर की दोनों के लिए जान से प्यारी होती है

औलाद के सामने पैसा बेमोल होता है, माँ बाप अपनी औलाद के खातिर अपने आप को भी गिरवी रख सकते है अगर बात उसकी जान पर आ जाए तो, उस रात तुम अगर आकर मेरे बेटे को देख जाते तो मैं तुम्हारी उस एक रात की फीस मरते दम तक भी अगर चुकाना पडती तो चुका देता पर अफ़सोस तुम नही आये और मेरा बेटा मेरे हाथो में दम तोड़ गया उन हाथो में जिनमे उसे पहली बार उठाया था


आकर ले जाओ अपने बेटे को,,, नही चाहता तुम अपनी औलाद से ज्यादा देर दूर रहो,,, पता बता रहा हूँ आधे घंटे बाद आकर ले जाना,,, मैं तुम्हारी शक्ल भी देखना नही चाहता " उस आदमी ने कहा रोते हुए और पता बता कर फोन रख दिया और बाहर जाकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगा


तब ही अंकुर उसके पास आया और उसके सीने से लग गया बिना एक भी लफ्ज़ कहे, उसे सीने से लगा देखा उस आदमी को ऐसा लगा मानो उसका बेटा उसके सीने से आ लगा हो और फिर वो उसे छोड़ कर चला गया


अंकुर उसे ज़ब तक देखता रहा ज़ब तक वो औझल न हो गया, उसके बाद उसकी आँखों में एक तेज रौशनी पड़ी जो शायद उसके पापा की गाड़ी की हेड लाइट की थी,, भले ही दिन निकल आया था लेकिन बादल घिरे होने की वजह से अंधेरा छाया हुआ था


समाप्त......


प्रतियोगिता हेतु




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11 Comments

अदिति झा

27-Jun-2023 08:50 PM

Nice

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Alka jain

27-Jun-2023 07:47 PM

Nice

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Shnaya

27-Jun-2023 06:36 PM

Nice one

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