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गंगा-गरिमा

गंगा
                गंगा-गरिमा
गंगा का जल है औषधि,अमृत समान है।
सरिता नहीं है गंगा, दरिया  महान  है ।।

सदियों से बह रही,भारत-धरा पे ये।
निज गोद में समेटे, गाथा-पुराण है।।

भगीरथ के तप बदौलत,सगरादि-तारिणी।
यह शिव-जटा की शोभा,सागर की शान है।।

माँ जान्ह्वी, गंगा, हिमालय को  तारती ।
भारत की अदबो इल्म का,ज़िंदा निशान है।।

ऋषिकेश-हरिद्वार से,आ कानपुर  गंगा।
पुनि जा प्रयाग कुम्भ का,पावन नहान है।।

काशी में जा के गंगा, शिव-पाँव पखारे।
काशी प्रसिद्ध नगरी, पूण्यों की खान है।।

ऐसी है देव-सरिता,शत-शत नमन  इसे।
जीवन प्रदान करती,भारत का  मान है।।
                     ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                       9919446372

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6 Comments

वानी

11-Jun-2023 03:01 PM

Nice

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Abhinav ji

09-Jun-2023 08:41 AM

Very nice 👍

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सुन्दर और खूबसूरत अभिव्यक्ति

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