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द गर्ल इन रूम 105–२६

इसलिए मैंने उसे पांच मिनट तक मुझे सुनाने का मौक़ा दे दिया। उसके बाद वह खुद ही थककर कमरे की वुडन ईज़ी चेयर पर बैठ गया। 'हमारे पास अब कोई चारा नहीं है, हमें किसी को इनफॉर्म करना होगा।' मैंने कहा ।

'लेकिन कैसे ? हम उन्हें क्या बताएंगे कि हम यहां पर क्या कर रहे हैं। एक गर्ल्स हॉस्टल के रूम में। इस

समय। जबकि रूम में रहने वाली लड़की मर चुकी है।' 'तो क्या करें? यहां से भाग चलें?"

'हां, शायदा बाहर अभी भी अंधेरा है। जैसे आए थे, वैसे ही चले जाते हैं।'

मैं सोचने लगा। हम यहां से निकलेंगे, घर जाकर सो जाएंगे और सोचेंगे कि ऐसा कभी कुछ हुआ ही नहीं

था। लेकिन यह आइडिया मुझे ठीक नहीं लग रहा था।

"उसकी मौत कैसे हुई?" मैंने कहा। 'क्या?"

'ज़ारा की मौत कैसे हुई ? अभी एक घंटा पहले तक तो वो एकदम ठीक थी।' "भाई, अभी मुझे इसकी परवाह नहीं है। अभी हमें जल्दी से जल्दी यहां से बाहर निकलना है बस।'

'वो तो बीमार भी नहीं थी । "

'हां, तो?

'किसी ने उसे मारा है।"

सौरभ अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ।

'क्या? तो क्या हम एक मर्डर सीन में मौजूद हैं? भाई, जल्दी से यहां से चलो।'

वह खिड़की पर चला गया।

'हम यहां से ऐसे नहीं जा सकते, गोलू। प्लीज़ बैठ जाओ। ठंडे दिमाग़ से इस पर सोचते हैं।'

वह भारी क़दमों से लौटकर आया और ईज़ी चेयर पर बैठ गया। 'लेकिन हमें यहां क्यों रुकना चाहिए? ताकि लोग हमें खोज निकालें और यह मान लें कि हमने ही यह सब

किया है?' उसने कहा। 'लेकिन अगर हम यहां से भाग गए, तब तो वे हर हाल में यही सोचेंगे कि यह हमने ही किया है।

'लेकिन उन्हें पता भी कैसे चलेगा कि हम यहां पर आए थे?" सौरभ ने अपने चेहरे से पसीना पोंछते हुए कहा। 'बाहर अभी भी अंधेरा है। चलो, निकलो यहां से।' 'तुम समझ नहीं रहे हो। यह बहुत बड़ा मामला है। आईआईटी हॉस्टल में एक पीएचडी स्टूडेंट का मर्डर ।

आईआईटी ही नहीं, पूरे पुलिस सिस्टम और मीडिया का ध्यान अब इस वारदात पर रहेगा।' 'तो?' सौरभ ने ईज़ी चेयर के आर्मरेस्ट को पकड़ते हुए कहा।

'तो क्या? वो लोग छानबीन करेंगे।'

'लेकिन यह तो कोई भी कर सकता है। अकेले कैंपस में ही हज़ार से ज़्यादा स्टूडेंट्स हैं।" 'लेकिन हो सकता है कि मेन गेट के गार्ड को हमारे बारे में याद रहे। और हां, चेकपोस्ट वाले पुलिस वाले

को तो मेरी बाइक का नंबर भी पता है। और यह भी कि इस रात को हम लोग कैंपस में गए थे।' 'तो क्या? हम तो यहां पर एक राइड लेने आए थे।'

'फिर वो लोग रूम में फ़िंगरप्रिंट्स सर्च करेंगे। मेरी उंगलियों के निशान खिड़की पर हैं, बेड पर हैं, उसके चेहरे तक पर हैं।'

'फ़िंगरप्रिंट्स?" सौरभ ने मेरे शब्द दोहराते हुए कहा। 'हां, जैसे कि तुम्हारे फ़िंगरप्रिंट्स, जो ठीक इस वक़्त ईज़ी चेयर पर हैं, मैंने कहा। उसने फ़ौरन आर्मरेस्ट्स

पर अपनी पकड़ ढीली कर दी।

'भाई, ये चल क्या रहा है? कोई क्राइम पैट्रोल शिट?' उसने कहा और उठ खड़ा हुआ। 'क्या हम सबकुछ पोंछ कर यहां से रफा-दफा नहीं हो सकते? मैं तो यहां से फ़ौरन चले जाना चाहता हूं।"

गोलू, हम कहीं नहीं जा सकते।' 'हमारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी।'

'नहीं गोलू, अगर हम अपने फ़िंगरप्रिंट्स मिटाकर यहां से भाग गए, तब ज़रूर हमारी जिंदगी बर्बाद हो

जाएगी।'

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