द गर्ल इन रूम 105–२९
बेट। एक मिनट,' मैंने कहा और मुड़ गया। मैं उसके बेड तक गया, उस पर झुका और उसका माथा चूम लिया। उसके ठंडे चेहरे पर आंसू की एक बूंद टपक पड़ी। 'हैप्पी बर्थडे, जारा आई लव यू।'
जारा चुपचाप लेटी रही।
"भाई, सौरभ ने दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा, 'लेट्स गो । ' 'आ रहा हूं, ' मैंने कहा। मैं सीधा खड़ा हो गया, एक बार फिर उसे देखा और कमरे से बाहर चला गया।अध्याय 6
हम नीचे उतरकर हिमाद्रि के मेन एंट्रेंस पर चले गए। हॉस्टल से हमें बाहर निकलते देखकर वॉचमैन अपनी कुर्सी
से चौंककर उठ खड़ा हुआ।
'रुको, तुम लोग कौन हो?" उसने कहा ।
'वॉचमैन साहब, ' मैंने कहा, 'हमें आपसे बात करनी है।"
"लेकिन तुम लोग यहां गर्ल्स हॉस्टल में क्या कर रहे हो?"
'वॉचमैन साहब, हमारी बात तो सुनो। कोई मर गया है।"
"क्या?' उसने कहा। उसका मुंह खुला का खुला रह गया।
इससे पहले कि मैं कुछ कहता, मुझे पुलिस का साइरन सुनाई देने लगा। हौज़ खास पुलिस मेरी उम्मीद से ज्यादा चुस्त-दुरुस्त निकली थी। एक दिल्ली पुलिस मारुति जिप्सी हॉस्टल कंपाउंड में घुसी। उसके पीछे
आईआईटी दिल्ली सिक्योरिटी पैट्रोल कार आई। जिप्सी में से तीन पुलिस वाले बाहर निकले। उनमें
से एक ने
टोपी पहन रखी थी और उनकी वर्दी पर तमगे थे। शायद वही इस ग्रुप में सबसे सीनियर थे। वे हमारी ओर बढ़े। मैंने नाम पढ़ा- विकास राणा। उनके पीछे-पीछे दो कांस्टेबल और आईआईटी दिल्ली के चार सुरक्षा अधिकारी भी
चले आए। वॉचमैन उनको देखकर गश खाकर गिरते-गिरते बचा।
"केशव राजपुरोहित कौन है?" इंस्पेक्टर राणा ने भारी रौबीली आवाज़ में कहा। 'मैं हूं, सर,' मैंने हाथ बढ़ाते हुए कहा, लेकिन उन्होंने नज़र अंदाज़ कर दिया।
'तुम्हीं ने फोन लगाया था?'
'हाँ, सर, 'मैंने कहा 'मुझे मेरी दोस्त जारा लोन मृत अवस्था में मिली। रूम नंबर 105 में।'
सुरक्षा अधिकारी भौंचक से मेरी तरफ देखते रहे। "तुम कौन हो?" एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा। 'स्टूडेंट?"
'एक्स स्टूडेंट,' मैंने कहा । '2013 बैच, कुमाऊं हॉस्टला '
'2013?' तो फिर तुम यहां क्या कर रहे हो? 'मैं यहां उससे मिलने आया था, मैंने कहा और आगे यह भी जोड़ दिया कि आज उसका बर्थडे था।
'लेकिन तुम गर्ल्स हॉस्टल में कैसे आ सकते हो?" उनकी आवाज़ तेज होती जा रही थी। 'क्या हम अभी
टाइम वेस्ट करने के बजाय बॉडी की तफ्तीश कर सकते हैं, प्लीज?" इंस्पेक्टर राणा ने कहा ।
कांस्टेबल ने ज़ारा के कमरे का दरवाज़ा खोलने के लिए एक रूमाल का इस्तेमाल किया।
"ऐहतियात से, इंस्पेक्टर राणा ने कहा, 'वहां फ़िंगरप्रिंट्स हो सकते हैं।'
सौरभ और मैंने एक-दूसरे की ओर देखा। दरवाज़े के हैंडल पर हमारे सिवा और किसके फ़िंगरप्रिंट्स हो सकते थे।
पुलिस कमरे में घुसी। जारा की लाश वहां पड़ी थी, चादर खिसकी हुई थी और बत्तियां जल रही थीं। " किसी भी चीज को मत छूना,' इंस्पेक्टर राणा ने चेताते हुए कहा। हम पहले ही हर चीज़ को छूकर देख चुके हैं, इंस्पेक्टर, मैं कहना चाहता था। एक कांस्टेबल ने अपने फ़ोन से लाश की तस्वीरें लीं, क्योंकि इस समय ऑफिशियल फोटोग्राफर नहीं आ सका था।